उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आरंभ होने का समय बीत चुका है और अब इसका दक्षिणी प्रायद्वीप क्षेत्रों में बेसब्री से इंतजार हो रहा है। तमिलनाडु को सबसे ज्यादा बारिश उत्तर-पूर्वी मॉनसून से ही मिलती है। तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत के क्षेत्रों में लोग अभी इस मिनी मॉनसून को लेकर आशंकित हैं और कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर में कब उत्तर-पूर्वी मॉनसून दस्तक देगा। देरी भले हुई है लेकिन स्थितियां धीरे-धीरे उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन के लिए अनुकूल बन रही हैं।
उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन के पहले दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की विदाई आवश्यक होती है, तभी उत्तर-पूर्वी मॉनसून का रास्ता साफ होता है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून इस बार धीमी गति से वापस हो रहा है और उत्तर-पूर्वी मॉनसून अब तक नहीं आया है तो इसकी मुख्य वजह बंगाल की खाड़ी में लगातार उठने वाले मौसमी सिस्टम। वर्तमान मौसमी स्थितियों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की पूरी तरह वापसी 28 अक्टूबर से पहले संभावित नहीं है। उसके बाद ही उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन की उम्मीद की जा सकती है। रिकॉर्ड में यह सबसे देर से आने वाला उत्तर-पूर्वी मॉनसून होगा।
English Version: Northeast Monsoon faces headwinds, onset gets delayed
आंकड़े बताते हैं कि जब जब उत्तर-पूर्वी मॉनसून देर से आया है इससे प्रभावित होने वाले दक्षिण भारत के सभी पांचों सब डिवीजन में कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है। यानी कि देर या जल्दी आने से अधिक या कम बारिश का सीधा-सीधा संबंध है। पिछले 15 वर्षों में उत्तर-पूर्वी मॉनसून सबसे पहले 2014 में आया था जब 18 अक्टूबर को इसने दस्तक दी थी। देर से आने का रिकॉर्ड 2018 के नाम है, जब 1 नवंबर को उत्तर-पूर्वी मॉनसून ने दस्तक दी थी।
बंगाल की खाड़ी से एक के बाद एक मौसमी सिस्टमों के आने के कारण उत्तर-पूर्वी मॉनसून की आगमन में बाधा आई है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन के लिए दक्षिण भारत में खासतौर पर तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों पर उत्तर-पूर्वी हवाओं का स्थायी रूप से चलना आवश्यक है। यह तभी हो सकता है जब बंगाल की खाड़ी कुछ समय के लिए शांत हो और मौसमी सिस्टम खाड़ी पर ना बनें।
एक बार जब उत्तर-पूर्वी मॉनसून दक्षिण भारत में दस्तक दे देता है उसके बाद फिर से भले ही मौसमी सिस्टम बंगाल की खाड़ी में उठते रहे और हवाओं के रुख में परिवर्तन होता रहे लेकिन उससे उत्तर-पूर्वी मॉनसून के लिए नकारात्मक नहीं माना जाता। कई बार दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन के बाद पूर्वी तटीय क्षेत्रों को बंगाल की खाड़ी के प्रभावी मौसमी सिस्टम हिट करते हैं। यहां तक कि चक्रवाती तूफान भी मॉनसून के आगमन के बाद ही बनाते हैं।
Image Credit: Science how stuff works
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