चार महीनों के बारिश के सीज़न, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के साथ बहुत सी विविधताएँ जुड़ी हैं। साथ ही इसकी विदाई तक कुछ रहस्यमय स्थितियाँ भी बनी रहती हैं। मॉनसून में कुछ इलाकों में अत्यधिक वर्षा होती है जबकि कहीं कम बारिश और कहीं सूखे जैसे हालात दिखाई देते हैं।
उत्तर भारत की अगर बात करें तो यहाँ तीन पर्वतीय राज्य हैं जिनमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड आते हैं जबकि मैदानी इलाकों में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। देश के उत्तरी भागों में पिछली बार मॉनसून कमजोर रहा था।
मॉनसून की गाड़ी सबसे आखिर में उत्तर भारत में ही पहुँचती है। हालांकि प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां मॉनसून के आने से पहले कभी-कभी होती रहती हैं। उत्तर भारत में मॉनसून वर्षा की मुख्यतः ट्रफ, पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी से उठने वाले मौसमी सिस्टमों के चलते होती हैं।
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उत्तर भारत के राज्यों में मॉनसून 2018 के संभावित प्रदर्शन की बात करें तो यहाँ पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य मॉनसून वर्षा का अनुमान है। राजस्थान में पिछले दो वर्षों की तरह इस बार अत्यधिक मॉनसून वर्षा नहीं होगी बल्कि सामान्य बारिश की संभावना है।
दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़, आगरा और जोधपुर सहित सभी प्रमुख शहरों में मॉनसून 2018 में सामान्य वर्षा के आसार हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में मॉनसून 2018 में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। स्काइमेट ने अनुमान लगाया है वाराणसी, गोरखपुर और लखनऊ में कुछ अधिक वर्षा होगी। जबकि श्रीनगर, शिमला, मनाली और देहारादून में इस बार सामान्य या सामान्य से अच्छी बारिश होने की संभावना है।
अगर हम पिछले दो वर्षों में मॉनसून के प्रदर्शन की बात करें तो राजस्थान को छोड़कर सभी मैदानी राज्यों में मॉनसून वर्षा में कमी रही। जबकि पर्वतीय राज्यों में 2016 में मॉनसून सामान्य से कुछ कमजोर रहा था लेकिन 2017 में मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य रहा था।
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