अप्रैल महीने में थोड़ी कमजोरी के बाद अल नीनो में भूमध्य रेखा के पास लगातार उभार पर दिखाई दे रहा है। बीते दो हफ्तों से तापमान में उत्तरोत्तर वृद्धि का रुझान देखने को मिला है। हालांकि यह वृद्धि मामूली रही है।
नीनो 3.4 इंडेक्स भारत के मॉनसून के लिए सबसे अहम माना जाता है, जिसमें समुद्र की सतह का तापमान निर्धारित सीमा 0.5 डिग्री सेल्सियस से काफी अधिक 0.9 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर इस समय बना हुआ है।
इसके अलावा वर्तमान में ओषनिक नीनो इंडेक्स (नीनो 3.4 रीजन में फरवरी-मार्च-अप्रैल तीन महीनों का समुद्र की सतह का तापमान) भी 0.8 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर बना हुआ है। यही नहीं जारी तीन महीनों के चरण यानि मार्च-अप्रैल-मई के दौरान भी तापमान में यही रुझान कायम रहेगा। यहाँ तक कि बढ़कर यह 0.9 डिग्री सेल्सियस पर भी पहुँच सकता है।
इस परिदृश्य के बीच हमारा अनुमान है कि 2019 के ग्रीष्म ऋतु (जिसमें मॉनसून सीज़न भी शामिल होता है) में अल-नीनो की संभाव्यता 60% रहेगी। हम उम्मीद कर सकते हैं कि शरद ऋतु में अल नीनो कमजोर होने लगेगा। हालांकि उस दौरान भी इसके कमजोर होने की संभावना 50% ही रहेगी।
Also read in English: EL NINO SHOWS NO DEVOLVING SIGNS AS MONSOON 2019 KNOCKS THE DOOR
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मार्च और अप्रैल में गर्मी अच्छी रही है। मई भी इसी रुख पर शुरू हुई है। साथ ही समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान अब तक अल के कमजोर होने की दलीलों को सीधे खारिज करता है।
अल नीनो से मॉनसून 2019 हो सकता है प्रभावित
मौसम से जुड़े ज़्यादातर मॉडल अल-नीनो के कमजोर होने का संकेत दे रहे हैं लेकिन हमें डर है कि यह मॉनसून के आखिर में कमजोर होगा तब तक यह मॉनसून को खराब कर चुका होगा।
अल नीनो भारत की मॉनसून वर्षा पर सीधा असर डालता है और इसे व्यापक रूप में ख़राब कर सकता है। इस संदर्भ में यहाँ यह उल्लेखनीय है कि मॉनसून को कमजोर करने के लिए अल नीनो की उपस्थिती ही काफी है भले ही यह प्रभावी हो या कमजोर हो।
उदाहरण के लिए 2014 और 2015 दोनों वर्षों में अल नीनो था और दोनों साल 86% के आसपास बारिश हुई जिससे सूखे जैसे हालात रहे।
समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि से पहले से ही संकेत मिल रहे हैं कि मॉनसून के शुरुआती महीने जून में सामान्य से कम बारिश होगी। यह स्काइमेट द्वारा जारी किए गए मॉनसून पूर्वानुमान से मेल खाता है क्योंकि स्काइमेट ने जून में 77% वर्षा का अनुमान जताया है यानि मॉनसून 2019 के पहले महीने में अकाल पड़ सकता है।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2019 की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। मॉनसून सबसे पहले 20 मई को अंडमान व निकोबार में पहुंचता है। जबकि केरल के रास्ते इसे भारत के मुख्य भूभाग पर पहुँचने में इसे 10 दिन का समय लगता है।
केरल में मॉनसून के आगमन की आधिकारिक घोषणा तब की जाती है जब कुछ निश्चित मापदंड पूरे होते हैं, जिनमें राज्य के 14 जिलों में लगातार दो दिन बारिश होनी शामिल है।
Image credit: Critic Brain
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