वर्ष 2020-21 की सर्दी के दौरान दिसंबर और जनवरी में कई सशक्त पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में आए। इन पश्चिमी विक्षोभों के प्रभाव से पहाड़ों पर भारी बर्फबारी देखने को मिली। पहाड़ों पर जब भारी बर्फबारी होती है और उसके बाद लंबे समय के लिए मौसम साफ हो जाता है तब उत्तर दिशा से बर्फीली हवाएं लगातार उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और गंगा के मैदानी भागों के साथ-साथ मध्य भारत तक अपना असर दिखाती हैं जिससे इन सभी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जाती है और शीतलहर अपना शिकंजा कस लेती है।
हाल ही में 22 और 23 जनवरी को पहाड़ों पर बर्फबारी हुई थी। उसके बाद से पहाड़ों पर मौसम साफ है जिससे उत्तर के पहाड़ों से चलने वाली बर्फीली हवाओं की राह में कोई बाधा नहीं है। परिणामस्वरूप तापमान लगातार गिरा रहा है। ठंडी हवाओं के कारण पंजाब से लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश सहित राजस्थान और गुजरात के सौराष्ट्र व कच्छ तक शीतलहर का प्रकोप देखने को मिल रहा है।
शीतलहर कब पड़ती है
किसी शहर का औसत न्यूनतम तापमान 10 डिग्री या उससे कम होता है और न्यूनतम तापमान सामान्य से चार या 5 डिग्री कम होता है तब उस स्थिति को शीतलहर कहते हैं। अगर तापमान सामान्य से 6 या 7 डिग्री कम हो तो उसे भीषण शीतलहर यानि सीवियर कोल्ड वेव कहा जाता है। 27 जनवरी को भीलवाड़ा, कोटा तथा मध्य प्रदेश में भोपाल के तापमान सामान्य से 6 डिग्री कम रहे। राजस्थान के माउंट आबू में न्यूनतम तापमान -3 डिग्री रहा जो सामान्य से 7 डिग्री नीचे था। वही गुजरात के नलिया में तापमान सामान्य से 8 डिग्री नीचे दर्ज किया गया। यानि इन सभी क्षेत्रों में भीषण शीतलहर की स्थितियाँ देखने को मिलीं।
इस बीच अगले 3-4 दिनों तक उत्तर भारत में कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने वाला है। आगामी पश्चिमी विक्षोभ 1 फरवरी के आसपास पश्चिमी हिमालय क्षेत्रों पर दस्तक देगा। इसके प्रभाव से 2 फरवरी से जहां पहाड़ों पर बारिश शुरू होगी वहीं पहाड़ों से चलने वाली बर्फीली हवाएँ कमजोर हो जाएंगी और पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी से अपेक्षाकृत गर्म तथा आर्द्र हवाएं चलेंगी। इन हवाओं के प्रभाव से न्यूनतम तापमान में वृद्धि होगी तथा शीतलहर से फिलहाल राहत मिल जाएगी।
कहाँ छाया रहेगा कोहरा
28-29 जनवरी तक उत्तर प्रदेश के मध्य तथा पूर्वी जिलों सहित बिहार और पश्चिम बंगाल में घना कोहरा छाया रहेगा जिससे दिन के समय भी सर्दी का एहसास होगा क्योंकि दिन के तापमान सामान्य से काफी कम बने रहेंगे। हालांकि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी राजस्थान में कोहरे के प्रभाव में कमी आने की संभावना है क्योंकि इन भागों में हवाओं की रफ्तार बढ़ने वाली है। कोहरा कम होने से इन क्षेत्रों में दिन में धूप बढ़ेगी दिन के तापमान में वृद्धि होगी जिससे दिन में सर्दी का प्रभाव काफी कम हो जाएगा।
इस समय झारखंड से मध्य महाराष्ट्र तक एक तरफ रेखा बनी हुई है जिसके प्रभाव से अगले 24 से 48 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ झारखंड में हल्की वर्षा हो सकती है। परंतु यह वर्षा की गतिविधियां कुछ स्थानों पर तथा हल्की होंगे जिससे बहुत ही ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। थाना के न्यूनतम तापमान में कुछ वृद्धि देखी जा सकती है।
इस बार सर्दी कुछ लंबी खिंच सकती है क्योंकि पश्चिमी विक्षोभ फरवरी के महीने में भी आते रहेंगे। इस बार दिसंबर से ही हमने देखा है कि पश्चिमी विक्षोभों के बीच में काफी लंबा अंतराल बना हुआ है। जिसके कारण उत्तर दिशा से चलने वाली हवाएं तापमान को लंबे समय तक तापमान को नीचे लाने में अपनी भूमिका निभाती रही हैं। यह स्थिति फरवरी के अंत तक बने रहने की संभावना नजर आ रही है। जिसके कारण उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के अलावा, गंगा के मैदानी भागों तथा मध्य भारत में कभी कड़ाके की सर्दी तो कभी सामान्य सर्दी का दौर आता रहेगा।
Image credit: DNA India
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