दिल्ली और इसके आसपास के भागों में मॉनसून की वापसी के बाद से न्यूनतम तापमान में अब तक 6 से 7 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई है। कुछ समय पूर्व तक इन भागों में पूर्वी गर्म और आर्द्र हवाओं का प्रवाह बना हुआ था जिसके चलते तापमान काफी अधिक रिकॉर्ड किया जा रहा था। लेकिन जैसे ही मॉनसून वापस हुआ उत्तर भारत के मैदानी भागों में पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी शुष्क व शीतल हवाएँ चलना शुरू हुईं। जिसके प्रभाव से ही तापमान में तेज़ी से गिरावट आई।
उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में इन समय न्यूनतम तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया जा रहा है। दिल्ली के सफदरजंग मौसम केंद्र पर न्यूनतम तापमान 18 डिग्री और पालम में 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है।
आमतौर पर इस समय मध्य भारत के इलाके उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत के भागों से गर्म होते हैं। लेकिन इस वर्ष मौसम का कुछ अलग मिजाज ही देखने को मिल रहा है। उत्तर भारत में दिल्ली के तापमान से मध्य भारत के भागों के तापमान की तुलना करें तो दक्षिणी मध्य प्रदेश और विदर्भ में न्यूनतम तापमान 13 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया जा रहा है जबकि दिल्ली में यह 18-19 डिग्री के बीच बना हुआ है।
नागपुर देश के जिस भाग पर स्थित है वहाँ से कर्क रेखा गुजरती है। इसके चलते गर्मियों में नागपुर उन स्थानों में गिना जाता है जहां तापमान काफी अधिक रहता है। लेकिन चौंकाने वाला तथ्य यह है कि नागपुर में इस समय सुबह और रात दिल्ली की तुलना में ज़्यादा ठंडी हो रही हैं क्योंकि यहाँ न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया जा रहा है जो दिल्ली के तापमान से 3 डिग्री कम है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा मध्य भारत में पहुँचने वाली ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाओं और साफ आसमान के चलते हो रहा है। जब आसमान साफ होता है तब धरती से लॉन्ग वेब विकिरण के रूप में गर्मी निकलती रहती है परिणाम स्वरूप रात में ठंडक बढ़ जाती है। यह भी एक तथ्य है कि नागपुर सहित उसके आसपास का विदर्भ क्षेत्र पथरीला है जो दिन में धूप के प्रभाव में आकार जहां तेज़ी से गर्म होता है वहीं रात में उसी गति से ठंडा भी हो जाता है।
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