उत्तर भारत में होने वाली बर्फबारी पूरे देश की सर्दी का बड़ा श्रोत है। यूं तो सूरज जब उत्तरायण होता है तब पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर सर्दी का मौसम शुरू होता है। तापमान में गिरावट के रूप में यह बदलाव पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव से लेकर भूमध्य रेखा तक देखने को मिलता है। भारत भी मूलतः इसी से प्रभावित होता है।
यह भी एक उल्लेखनीय तथ्य है कि भारत के उत्तरी, मध्य और पूर्वी भागों तक सर्दी का बढ़ना और सर्दी का घटना उत्तरी के पहाड़ों पर बर्फबारी पर काफी निर्भर करता है। कभी-कभी बर्फबारी के बाद ठंडी हवाएँ तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश तक को प्रभावित करती हैं और इन भागों में भी शीतलहर देखने को मिलती है।
साल 2019 की सर्दियों में नवंबर से बर्फबारी का सिलसिला शुरू हुआ, जो दिसम्बर और उसके बाद जनवरी में भी जारी है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार उत्तर भारत में श्रीनगर पहला वह पड़ाव है जहां सबसे पहले बर्फबारी का नज़ारा देखने को मिलता है। शिमला दूसरा पड़ाव है। जबकि मसूरी तीसरा और आखिरी पड़ाव है।
इसमें श्रीनगर और मसूरी में जब बर्फबारी हो जाती है उसके बाद से न्यूनतम तापमान पूरे सर्दी के मौसम में शून्य से नीचे ही रहता है। लेकिन शिमला में ऐसा नहीं होता और कई बार दिल्ली या अन्य मैदानी शहरों से भी अधिक तापमान पहुँच जाता है। बर्फबारी का मौसम उत्तर भारत के अपने आखिरी ठिकाने तक पहुँच गया है। यानि मसूरी और नैनीताल में भी बर्फबारी हो गई है। इसलिए अगर मसूरी जाना है आपको तो आने वाले दिनों में शून्य से नीचे पारा रहेगा, जिससे कड़ाके की सर्दी से करना होगा मुक़ाबला।
पहाड़ों पर भारी हिमपात की चेतावनी
इस बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास पहुंचा है। इसके चलते जम्मू कश्मीर, हिमाचल और लद्दाख में 6 से 8 जनवरी के बीच जबकि उत्तराखंड में 7 और 8 भारी बारिश और हिमपात की चेतावनी जारी की गई है। इन चारों राज्यों में इस दौरान हिमस्खलन और भूस्खलन की आशंका है। इसलिए सैलानियों को बर्फबारी के रोमांच के साथ कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा।
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