भारत के अधिकांश हिस्सों में एक साथ प्री-मॉनसून वर्षा की संभावना बन गई है। यह बारिश अपने साथ गर्मी से बहुप्रतीक्षित राहत भी लेकर आएगी। कुछ भागों में 5 अप्रैल से ही प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां शुरू हो गई हैं और मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 6 से 11 अप्रैल के बीच कहीं हल्की से तो कहीं मध्यम बारिश देखने को मिलेगी। इस दौरान गुजरात और तमिलनाडु को छोड़कर देश के अधिकांश इलाकों में बारिश दर्ज की जाएगी।
आँधी, गर्जना और बारिश के रूप में यह प्री-मॉनसून वर्षा की हलचल सबसे अधिक 8 से 10 अप्रैल के बीच देखने को मिलेगी। उसके बाद इसमें धीरे-धीरे कमी आएगी। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां थोड़ी-थोड़ी देर के लिए लेकिन तेज़ झोंके की तरह आएंगी और मौसम को बदल देंगी। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
देश के उत्तरी, मध्य और पूर्वी राज्यों में तेज़ी से ऊपर चढ़ रहे तापमान और प्रचंड रूप धारण कर रही गर्मी पर मौसम में यह बदलाव लगाम लगाएगा। हालांकि प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां मुख्यतः शाम के समय होती हैं जिससे दोपहर के समय गर्मी बनी रह सकती है। अगले 4-5 दिनों के दौरान होने वाली इस बारिश से देश में प्री-मॉनसून सीजन में बारिश में कमी के आंकड़ों में सुधार होगा। विशेष बारिश पूर्वोत्तर राज्यों में होगी। देश में प्री-मॉनसून सीज़न में 4 अप्रैल तक कमी 48 फीसदी की थी।
यह गतिविधियां देश के विभिन्न भागों में एक साथ बनने वाले मौसमी सिस्टमों के चलते देखने को मिलेंगी। उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ पर्वतीय राज्यों में बारिश देगा तो इसके प्रभाव से विकसित होने वाला चक्रवाती सिस्टम उत्तरी राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में बारिश का कारण बनेगा। अगले कुछ दिनों के दौरान होने वाली बारिश कभी रात में होगी, कभी शाम के समय तो कभी दोपहर में। इसके चलते कुछ स्थानों पर तापमान में अच्छी कमी दिखेगी जबकि कहीं-कहीं पारा वर्तमान स्तर से कुछ ही नीचे जाएगा।
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पूर्वी उत्तर प्रदेश से बांग्लादेश तक एक ट्रफ रेखा विकसित हुई है। इसके अलावा ओड़ीशा और आंध्र प्रदेश के तटों पर बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित हुआ। इस सिस्टमों के कारण ही बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओड़ीशा में वर्षा होगी। शुरुआत में पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश में कमी रहेगी जबकि अगले एक-दो दिनों में पूर्वोत्तर में भी आर्द्र हवाएँ बढ़ जाएंगी जिससे बारिश की गतिविधियां यहाँ भी ज़ोर पकड़ेंगी।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश से केरल तक एक ट्रफ बन गई है। इसके प्रभाव से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में गर्जना, धूलभरी आँधी, बारिश और ओलावृष्टि जैसी मौसमी हलचल हो सकती है। दक्षिण भारत में प्री-मॉनसून गतिविधियां तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में अधिक होगी क्योंकि इन भागों में आर्द्रता का प्रवाह अधिक होगा।
बंगलुरु, दिल्ली और मुंबई में इस दौरान गर्जना के साथ हल्की बारिश होगी जबकि कोलकाता और हैदराबाद में अच्छी बारिश होने की संभावना है।
Image credit: RajExpress
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