उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले कई दिनों से अच्छी बारिश हुयी है और गरज के साथ बौछारें पड़ी हैं। इस वजह से पूरे छेत्र में व्यापक तौर पर भूस्खलन और मिट्टी के टीले गिरने की घटनाएं सामने आयी हैं। इसके अलावा, अलग-अलग इलाकों में बादल फटने की घटनाएं भी देखी गईं।
हालाँकि जम्मू-कश्मीर में बारिश के बावजूद लोगों को कोई दिक्कत पेश नहीं आयी।
गुरुवार को सुबह 08:30 बजे से पिछले 24 घंटों के दौरान, पंतनगर में 28 मिमी, कटरा में 27 मिमी, शिमला में 21 मिमी, जम्मू में 19 मिमी, कोकरनाग में 17 मिमी, पहलगाम में 15 मिमी, बनिहाल में 13 मिमी, काज़िगुंड में 11 मिमी, देहरादून में 8 मिमी, मनाली में 7 मिमी, पिथौरागढ़ में 6 मिमी, मसूरी में 5 मिमी, गुलमर्ग में 5 मिमी और हरिद्वार में 3 मिमी बारिश दर्ज हुयी।
स्काईमेट वेदर के अनुसार, मानसून की अक्षीय रेखा दक्षिण उत्तर प्रदेश की तरफ स्थानांतरित हो गई है, लेकिन बंगाल की खाड़ी से आने वाली आर्द्र हवाएं, पश्चिमी हिमालय पर नमी को उत्प्रेरित कर रही हैं। इस वजह से हमें ऐसी उम्मीद है की जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अगले हफ्ते या शायद 13 सितंबर तक, हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश हो सकती है, एक दो स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। बादल फटने जैसी घटनायें होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
पर्यटकों को सलाह दी जाती है की वो कम से कम एक सप्ताह तक इन पहाड़ी इलाकों में जाने की योजना न बनाएँ।
अब तक, जम्मू-कश्मीर में 7% की सामान्य बारिश हुई है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी सामान्य बारिश हुई है लेकिन यहां क्रमशः 4% और 2% वर्षा की कमी है।