उत्तर प्रदेश और बिहार अब तक सबसे अधिक वर्षा की कमी वाले राज्य हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 45 फीसदी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 43 फीसदी और बिहार में 42 फीसदी की कमी है।
पूरे मौसम में भारत के गंगा के मैदानी इलाकों में मॉनसून की बारिश कम रही। कमजोर मानसून की स्थिति का उत्तर प्रदेश और बिहार की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इन राज्यों में धान की फसल गिरने की कगार पर है।
हालांकि, पिछले 24 से 48 घंटों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में बारिश तेज हो गई है। मॉनसून की अक्षीय रेखा हिमालय की तलहटी के करीब चल रही है। एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों और उससे सटे बिहार पर भी बना हुआ है।
इन मौसम मापदंडों के मद्देनजर, हम उम्मीद करते हैं कि अगले 4 से 5 दिनों के दौरान बिहार के साथ-साथ पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश में बारिश की गतिविधियों में और वृद्धि होगी। हालांकि ये बारिश बारिश की कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी लेकिन निश्चित रूप से यह कुछ हद तक मरने वाली फसलों की मदद करेगी।
उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से और बिहार के कई हिस्सों में और सितंबर के पहले सप्ताह तक अलग-अलग स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है। यह इन राज्यों में सबसे लंबी बारिश में से एक हो सकती है।