चार महीनों का मॉनसून सीजन सितंबर में संपन्न होता है। आमतौर पर सितंबर की शुरुआत से पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून वापसी का पहला कदम उठाता है। मॉनसून की वापसी की घोषणा तब की जाती है जब लगातार चार-पांच दिन तक बारिश नहीं होती है, वातावरण में नमी कम हो जाती है, हवा की दिशा दक्षिणी व दक्षिण-पूर्वी से बदलकर पश्चिमी या उत्तर-पश्चिमी हो जाती है, तापमान में वृद्धि शुरू हो जाती है और पश्चिमी भारत पर विपरीत चक्रवर्ती क्षेत्र बन जाते हैं।
इनमें से कई मौसमी परिदृश्य पिछले दिनों से राजस्थान और गुजरात पर बने हुए हैं। लगभग 10 दिनों से देश के अधिकतर भागों में बारिश नहीं हो रही है। महज़ पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में इस दौरान वर्षा रिकॉर्ड की गई है। दक्षिण भारत के भागों में भी इस समय बारिश हो रही है। लेकिन विपरीत चक्रवाती क्षेत्र विकसित नहीं हुआ है। साथ ही रुक-रुक कर नमी वाली हवाएं इन भाग पर पहुंच रही हैं जिसके कारण अब तक मॉनसून की वापसी नहीं हुई है।
भले ही वर्तमान मौसमी परिदृश्य मॉनसून की वापसी के लिए अनुकूल माना जा रहा है लेकिन इसकी वापसी में अब कुछ और दिनों का विराम लग सकता है, क्योंकि बंगाल की खाड़ी में एक नया मॉनसून सिस्टम विकसित हो रहा है जो अगले 24 घंटों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनेगा और पश्चिमी तथा उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए मध्य भारत के साथ-साथ राजस्थान और गुजरात सहित उत्तर पश्चिम भारत के भागों में बारिश देगा।
मॉनसून की वापसी की शुरुआत जिन भागों से आम तौर पर होती है उन क्षेत्रों में 23 से 26 सितंबर के बीच अच्छी बारिश होने की संभावना है, क्योंकि एक तरफ जहां बंगाल की खाड़ी मॉनसून सिस्टम बन रहा है वहीं दूसरी ओर इसी दौरान जम्मू-कश्मीर पर एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के आने की भी संभावना है। इन दोनों सिस्टमों के चलते जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित आसपास के सभी भागों में मध्यम से भारी बारिश देखने को मिल सकती है।
मध्य भारत के पूर्वी भागों में 20 सितंबर से शुरू होकर 26-27 सितंबर तक पश्चिमी और उत्तर भारत में इस संभावित बारिश के दौर के चलते अनुमान लगाया जा रहा है कि मॉनसून की वापसी सितंबर के आखिर में या अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरू हो सकती है। पिछले वर्ष यानी 2017 में राजस्थान से 27 सितंबर को मॉनसून की वापसी शुरू हुई थी और दिल्ली से 15 अक्टूबर को मॉनसून ने विदा ली थी।
इस बीच स्काइमेट के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ एवीएम जीपी शर्मा का कहना है कि मॉनसून की वापसी में देरी के चलते सर्दियों के आगमन में देरी होने की संभावना होती है। यानि ऋतुओं का अगर एक चक्र अपने समय पर पूरा नहीं होता तो अगली ऋतु भी उससे प्रभावित होती है। इसके अलावा अल नीनो भी उभर पर है जिसकी घोषणा इस साल के अंत तक की जा सकती है। इससे भी इस बार की सर्दी में कमी रहने की संभावना बन रही है।
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