लंबे चिंतन-मनन के बाद देश की सरकारी एजेंसी भारतीय मौसम विभाग ने अंततः 8 जून को केरल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगमन की घोषणा कर दी है। मॉनसून की उत्तरी सीमा इस समय केरल में कन्नूर और तमिलनाडु में चेन्नई से होकर गुजर रही है।
वर्षा, हवा की दिशा, हवा की गति और पश्चिमी हवाओं की गहराई जैसे मॉनसून के आगमन के सभी प्रमुख मापदंड पूरे हो रहे हैं। हालांकि ओएलआर (आउटगोइंग लॉन्गवेब रेडिएशन) आवश्यक मापदंड के आसपास है। 6 जून को ओएलआर 200 Wm-2 थी और 7 जून को यह 240 Wm-2 थी। इसका निश्चित मापदंड लगातार दो दिनों तक 200 से नीचे बने रहना होता है। मॉनसून की आधिकारिक घोषणा के दिन भी ओएलआर तय सीमा से अधिक रही।
स्काइमेट का पहले से ही मानना है कि मॉनसून भारत के मुख्य भू-भाग पर काफी पहले यानि मई के आखिरी दिनों में ही पहुँच गया था। मॉनसून के आगमन के लिए ऊपर बताए गए निश्चित मानदंड उस दौरान भी पूरे हो रहे थे। ओएलआर भी 27 मई को 189 थी लेकिन यह 28 मई को 212 पहुँच गई थी।
इस बीच दक्षिण में हो रही भारी वर्षा को इस महीने की अच्छी वर्षा का दूसरा दौर कह सकते हैं। केरल और तटवर्ती कर्नाटक में 26 मई से भारी वर्षा हो रही है। बारिश में 3 और 4 जून को कमी आई थी लेकिन 5 जून से फिर से वर्षा की गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं।
नीचे दी गई तालिका में उन पूर्व-निर्धारित 14 स्थानों पर हो रही बारिश के आंकड़े स्थिति को और स्पष्ट करते हैं, जो यह तय करते हैं कि भारत के मुख्य भू-भाग पर मॉनसून का आगमन हो चुका है। इन 14 स्थानों के 60 प्रतिशत भू-क्षेत्र पर 2.5 मिलीमीटर बारिश लगातार 2 दिनों तक दर्ज की गई है।
मॉनसून पूर्वानुमान
स्काइमेट के अनुसार मॉनसूनी हवाएँ जल्द सशक्त होंगी जिससे देश के कुछ और भागों में मॉनसून का तेज़ी से प्रसार होगा। आधिकारिक रूप से मॉनसून के आगमन में 8 दिन की देरी के बावजूद यह अगले 3-4 दिनों में मुंबई तक पहुँच सकता है। उसके पश्चात इसकी रफ्तार में कमी आने की संभावना है। हालांकि इससे किसी प्रकार की चिंता की बात नहीं है क्योंकि मॉनसून सीजन में भी बारिश का कभी बढ़ जाना और कभी कुछ दिनों तक बारिश ना होना एक सामान्य मौसमी स्थिति है और ऐसा मॉनसून सीजन में प्रायः होता भी रहता है।
Image Credit: itimes.com
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