पंजाब और हरियाणा में मॉनसून सीजन के दौरान मॉनसून की सक्रिय स्थिति तीन मौसमी प्रणालियों की वजह से देखने को मिलती है। जिसमें पहला है, बंगाल की खाड़ी में बना मौसमी सिस्टम जो कि मध्य भारत के समूचे भागों से घूमते हुए राजस्थान में पहुंच रही है। दूसरा, मॉनसून ट्रफ का औसिलेटिंग स्वभाव भी मौसमी गतिविधियों को प्रभावित करती है और तीसरा कारण है पश्चिमी विक्षोभ का मौजूद होना। जब-कभी एक से साथ मौसमी सिस्टम साथ-साथ प्रभावी होती है तो मौसमी गतिविधियों की तीव्रता अधिक हो जाती है।
इस समय, बैक-टू-बैक मौसमी सिस्टम बन रहे हैं। इस वक़्त मध्य प्रदेश और उससे सटे छत्तीसगढ़ के हिस्सों में एक निम्न-दवाब क्षेत्र बना हुआ है। इस प्रणाली का व्यापक प्रभाव पश्चिमी मध्य प्रदेश और उससे सटे आसपास के राजस्थान के हिस्सों को कवर कर रहा है। इसके अलावा, एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पाकिस्तान और उससे सटे जम्मू-कश्मीर पर विकसित हो रहा है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, अब निम्न दवाब क्षेत्र पश्चिमी दिशा की ओर आगे बढ़ते हुए मध्य प्रदेश के पश्चिमी भागों और उससे सटे राजस्थान के क्षेत्रों को कवर करने वाला है। निम्न दवाब क्षेत्र और मॉनसून ट्रफ रेखा के कारण 31 जुलाई से 2 अगस्त तक राज्य में अच्छी मॉनसूनी वर्षा की उम्मीद है। हालांकि, 3 अगस्त के बाद पंजाब और हरियाणा में बारिश की तीव्रता कम हो जाएगी।
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संभवतः आगामी बारिश से तापमान में 3-5 डिग्री तक की गिरावट की संभावना है। साथ ही, फसलों के लिए भी यह बारिश बहुत उपयोगी रहेगी। अब तक के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में 23 फीसदी बारिश की कमी है, आगामी बारिश के कारण इसमें भी सुधार की उम्मीद है।
इस दौरान, राज्य के करनाल, रोहतक, जालंधर, चंडीगढ़, पठानकोट, अमृतसर और फरीदकोट में गरज और तेज हवाओं के साथ अच्छी मॉनसूनी बारिश की उम्मीद है।
Image Credit: Business Insider
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