मॉनसून अपने आखिरी चरण में और जल्द ही यह पश्चिमी राजस्थान से अपने वापसी के रास्ते पर निकल सकता है। दूसरा पड़ाव उत्तर भारत के मैदानी राज्य यानि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली ही होते होते हैं। मॉनसून की वापसी के बाद उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश रिकॉर्ड की जाती है।
राजधानी दिल्ली में लगभग एक दशक बाद इस मॉनसून सीज़न में अच्छी बारिश देखने को मिली है। दिल्ली में 1 जून से 11 जून तक कुल 566 मिलीमीटर बारिश हुई है जो सामान्य से महज़ 4 फीसदी कम है। अभी सितंबर के लगभग 20 दिन बाकी हैं इस दौरान उम्मीद है कि सामान्य बारिश इसी तरह से जारी रह सकती है।
पंजाब की बात करें तो इस मॉनसून सीज़न में अब तक राज्य में सामान्य से 14 प्रतिशत कम 378 मिलीमीटर बारिश हुई है। पंजाब में सबसे अधिक बारिश रूपनगर और बरनाला में हुई। इन दोनों जिलों में क्रमशः 45 और 29 फीसदी अधिक वर्षा हुई है। जबकि फ़िरोज़पुर में सामान्य से 75 फीसदी कम और मनसा में 63 फीसदी कम वर्षा के कारण मॉनसून लगभग सूखा बीता है।
भारत के कृषि प्रधान राज्यों में शुमार हरियाणा में भी सामान्य से 20 प्रतिशत कम 418 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है। राज्य में करनाल पर मॉनसून सबसे अधिक मेहरबान रहा। रिकॉर्ड आंकड़ों के मुताबिक करनाल में सामान्य से 28 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। जबकि दक्षिण और पश्चिम के अधिकतर जिलों में मॉनसून की बेरुखी रही। पंचकुला में 52 और फ़तेहाबाद में 51 फीसदी कम बारिश हुई।
पंजाब और हरियाणा कृषि प्रधान राज्य होने के बाद भी सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर नहीं हैं। लेकिन कमजोर मॉनसून के कारण फसलों का प्रकृतिक विकास बाधित तो होता ही है। इस समय मॉनसून की अक्षीय रेखा हिमालय के तराई क्षेत्रों में बनी हुई है और उत्तर भारत के मैदानी राज्यों पर कोई सक्रिय मौसमी सिस्टम नहीं है जिससे पिछले कुछ दिनों से दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब में बारिश नहीं हो रही है।
एक नया पश्चिमी विक्षोभ 13 सितंबर को जम्मू कश्मीर के पास पहुँचने वाला है। इसके प्रभाव से मुख्यतः पहाड़ों पर बारिश बढ़ेगी। साथ ही पंजाब के उत्तरी भागों में भी कुछ स्थानों पर बारिश हो सकती है। जबकि हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में मुख्यतः सूखा मौसम ही जारी रहेगा।
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