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[Hindi] मॉनसून की बदल रही चाल; भारत में बढ़ रहा है सूखे और बाढ़ का संकट

September 14, 2017 1:15 PM |


दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पर भारत की खरीफ फसलें ही नहीं हैं बल्कि पानी की अन्य जरूरतें भी मॉनसून वर्षा से काफी हद तक तक पूरी होती हैं। मॉनसून का भारत के लिए बहुत अधिक महत्व है। यही वजह है कि किसान से लेकर आम आदमी और सरकार तक की नज़रें मॉनसून पर टिकी रहती हैं। मॉनसून के प्रदर्शन को ध्यान में रखकर सरकार की कई नीतियाँ तैयार की जाती हैं।

चार महीनों का मॉनसून का सफर अपने आखिरी चरण में पहुँच गया है और इसकी विदाई राजस्थान के पश्चिमी भागों से कभी भी शुरू हो सकती है। वर्ष 2017 में स्काइमेट ने सामान्य से 5 फीसदी कम 95 प्रतिशत यानि मॉनसूनी बारिश की संभावना जताई थी और अब तक देश में जितनी वर्षा हुई है वह स्काइमेट को 100 प्रतिशत सही साबित करती है।

मॉनसून की बदलती चाल चिंता का विषय है क्योंकि मॉनसून के परंपरागत प्रदर्शन में बदलाव ना सिर्फ कृषि को प्रभावित कर रहा है बल्कि परिस्थितिकी पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। बदल रही जलवायु किसानों को गंभीर रूप में प्रभावित कर सकती है।

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वर्षा 2017 में अब तक हुई बारिश के आंकड़े बताते हैं कि कहीं भीषण बाढ़ की विभीषिका रही तो कहीं सूखे जैसे हालात से बंजर होती धरती है। ऐसा नहीं है कि यह स्थिति इस बार अचानक आई है। लेकिन सच यह भी है कि हर वर्ष सूखे और बाढ़ वाले इलाकों का दायरा बढ़ता जा रहा है। नीचे दिए गए आंकड़ों में यह अंतर समझा जा सकता है, जो 1 जून से 13 सितंबर तक हुई बारिश पर आधारित हैं।

Monsoon rains in India in 2017

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने 2017 में असम, बिहार, उत्तर-पूर्वी उत्तर प्रदेश, राजस्थान के कुछ इलाकों और गुजरात में बाढ़ ने तबाही मचाई। दक्षिणी छत्तीसगढ़ और ओड़ीशा के कुछ भागों में भी भारी वर्षा और बाढ़ का संकट रहा। पश्चिमी राजस्थान और कच्छ में बारिश कम होती थी। इन भागों में मॉनसूनी बारिश बढ़ रही है और सामान्य से अधिक बारिश होने लगी है।

दूसरी ओर हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, विदर्भ और तटीय कर्नाटक में कई जगह सूखे जैसे हालात हैं। यही नहीं जिन राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है उनमें भी वितरण संतुलित नहीं रहा। देश भर में गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।

Live status of Lightning and thunderstorm across India

अगर यही क्रम आगे भी बना रहता है तो इस पर गंभीरता से चिंतन करना होगा और कृषि के लिए रणनीति बदलनी होगी। यानि जब मॉनसून हमारे अनुकूल नहीं चल रहा है तो क्यों ना हम उसके अनुकूल चलें, इस पर सोचने की ज़रूरत है।

Image Credit: The Indian Express

कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।

 

 






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