मध्य प्रदेश में इस साल मॉनसून वर्षा ने गदर मचा रखी है। कई इलाकों में भीषण बारिश के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। रविवार की सुबह 8:30 बजे से पिछली 24 घंटों की अवधि में सिवनी में 313 मिलीमीटर की मूसलाधार वर्षा दर्ज की गई है। इतने कम समय में 313 मिमी बारिश यानि अधिकांश इलाके जलमग्न हो गए हैं।
यही नहीं राजधानी भोपाल में 140 मिमी, सागर में 109 मिमी, रायसेन में 132 मिमी, जबलपुर में 75 मिमी, मांडला में 61 मिमी और दमोह में 58 मिमी की भीषण बारिश हुई है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के अलावा मांडला में स्थानीय प्रशासन ने स्कूल और कॉलेज बंद करने के आदेश जारी किए हैं।
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स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मध्य प्रदेश आने वाले दिनों में भी देश में सबसे अधिक बारिश पाने वाला राज्य बना रहेगा। कई जिलों में लगातार बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थितियाँ बनी रहेंगी जिससे सामान्य जन-जीवन प्रभावित होगा। अनुमान है कि अगले तीन-चार दिनों तक भोपाल, इंदौर, उज्जैन, रतलाम, गुना, सागर, ग्वालियर और मुरैना सहित कई इलाकों में अगले तीन-चार दिनों तक बाढ़ जैसे बारिश से राहत नहीं मिलेगी।
इस समय एक निम्न दबाव का क्षेत्र मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भागों पर पहुंचा है। साथ ही मॉनसून ट्रफ भी राजस्थान से मध्य प्रदेश होते हुए बंगाल की खाड़ी तक बनी हुई है। इन दोनों मौसमी सिस्टमों के कारण ही मध्य प्रदेश पर मॉनसून का उग्र रूप देखने को मिल रहा है और अनुमान है कि अगले तीन-चार दिनों तक पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश में मूसलाधार बारिश ऐसे ही जारी रहेगी।
English Version: 313 MM RAIN BATTERS SEONI, SCHOOLS AND COLLEGES SHUT IN BHOPAL AND MANDLA, FLOODING RAINS IN INDORE
गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश में रीवा, सतना, सागर, पन्ना, छतरपुर और खजुराहो सहित कई इलाकों में अब तक मॉनसून वर्षा काफी कम हुई थी। ऐसे में अगले कुछ दिनों के दौरान अच्छी बारिश से इन क्षेत्रों को फायदा होगा। गर्मी से राहत मिलेगी और पानी की कमी की भरपाई होगी। लेकिन पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश जुलाई से ही लगातार तेज़ बारिश की गिरफ्त में है ऐसे में यहाँ और बारिश मुसीबतें बढ़ा सकती है।
दूसरी तरफ जबलपुर, मांडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा सहित दक्षिण-पूर्वी मध्य प्रदेश में बारिश अपेक्षाकृत कम होगी। लेकिन राज्य के ज़्यादातर इलाकों में लंबे समय से हो रही बारिश के कारण मध्य प्रदेश के अधिकांश डैम भर चुके हैं। कुछ डैम में क्षमता से अधिक पानी भर गया है जिससे उनके गेट खोले जा सकते हैं। अगर ऐसा किया गया तो निचले इलाकों में बाढ़ आफत बन सकती है।
Image credit: The Financial express
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