अरब सागर में जल्द ही एक निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित होने वाला है। यही सिस्टम मॉनसून को केरल में लेकर आएगा। इससे पहले दक्षिण-पूर्वी अरब सागर पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र सक्रिय है। वर्तमान सक्रिय चक्रवाती क्षेत्र के चलते केरल लक्षद्वीप और तटीय कर्नाटक में बारिश के लिए स्थितियां अनुकूल बनी हुई है कुछ स्थानों पर बारिश हो भी रही है।
दक्षिण भारत के इन क्षेत्रों में धीरे-धीरे बारिश और बढ़ने की संभावना है। बारिश बढ़ने के साथ ही मॉनसून जल्द ही दस्तक भी दे सकता है। हालांकि मॉनसून के आगमन की घोषणा के लिए कुछ निश्चित मापदंड होते हैं। इन मापदण्डों में भूमध्य रेखा के उत्तर में यानी भारत की तरफ वायुमंडलीय स्थितियों में बदलाव और लक्षद्वीप, केरल तथा कर्नाटक में बारिश प्रमुख हैं।
बारिश: बारिश की बात करें तो पूर्व निर्धारित 14 स्थानों पर 60% क्षेत्र में लगातार दो दिन 2.5 मिलीमीटर या उससे अधिक बारिश होने पर केरल में मानसून के आगमन की घोषणा की जाती है। यह 14 स्थान हैं मिनिकॉय, अमिनी दिवी, तिरुवनंतपुरम, पुनालुर, कोल्लम, अलपुझा, कोट्टायम, कोच्चि, त्रिशूर, कोझीकोड, थालास्सेरी, कन्नूर, कुडुलु और मैंगलोर।
हवा: बारिश के अलावा हवाओं में स्थायी बदलाव भी एक प्रमुख मापदंड है। पश्चिम से आने वाली हवाओं की गहराई क्षेत्र विशेष (55° से 80° पूर्वी देशांतर और 0° से 10° उत्तरी अक्षांश) में 600 मिलीबार (7000 फुट की ऊंचाई पर) के आसपास होनी चाहिए। इन हवाओं की रफ्तार उक्त क्षेत्र में 925 मिलिमीटर यानि 3000 फुट की ऊंचाई पर 25 से 35 किमी प्रति घंटे से अधिक होनी चाहिए।
ओएलआर: आउटगोइंग लॉन्ग वेव रेडिएशन (ओएलआर) वैल्यू में भी बदलाव महत्वपूर्ण होता है मॉनसून के आगमन की घोषणा करने में। 70°-75° पूर्वी देशांतर और 5°-10° उत्तरी अक्षांश पर ओएलआर की वैल्यू 200w/m-2 होनी चाहिए।
मॉनसून का सबसे पहले स्वागत करने वाले भारत के प्रमुख क्षेत्रों में बदलाव शुरू हो चुका है। ऊपर बताई गई स्थितियाँ धीरे-धीरे बनती हुई दिखाई दे रही हैं। हवा प्रभावी होने लगी है, बादल घने होते जा रहे हैं और समुद्री क्षेत्र पर बारिश तेज़ हो गई है, जो धीरे-धीरे तटों के करीब बढ़ रही है।
इससे यह कह सकते हैं कि 2020 में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून समय से पहले दस्तक दे देगा, जैसा कि अंडमान व निकोबार में इस साल देखने को मिला था।
Image Credit: India TV
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