दक्षिणी अंडमान सागर और इससे सटे बंगाल की खाड़ी में दक्षिण पश्चिम मॉनसून ने 14 मई को दस्तक दे दी है। इस क्षेत्र में बने बादलों और यहाँ दक्षिण-पश्चिमी मॉनसूनी हवाएँ इस बात का संकेत कर रही हैं कि अगले 72 घंटों में यह सामान्य गति से आगे बढ़ेगा। अगले 2-3 दिनों के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के उत्तरी भागों और बंगाल की खाड़ी के कुछ और क्षेत्रों तथा उत्तरी अंडमान सागर में भी पहुँच जाएगा।
दक्षिणी अंडमान सागर और मलय प्रायद्वीप पर विकसित चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र लगातार प्रभावी बना हुआ है। यह निरंतर सशक्त हो रहा है और अगले 24 घंटों में इसके निम्न दबाव का रूप लेने की संभावना है। अंडमान सागर में उभर रहा यह सिस्टम मॉनसून को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस मौसमी सिस्टम का प्रभाव क्षेत्र में दिखाई दे रहा है।
स्काइमेट के अनुसार बादलों का बढ़ना और अन्य मौसमी स्थितियाँ संकेत कर रही हैं मॉनसूनी हवाएँ क्रमशः भारत के मूल भू-भाग की ओर बढ़ेंगी। इस सिस्टम के चलते पहले से ही अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के कई भागों में 48 घंटों से मध्यम से भारी बारिश हो रही गई है। शनिवार की सुबह 8:30 बजे से बीते 24 घंटों के दौरान कार निकोबार में 67 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। लॉन्ग द्वीप में 15 मिलीमीटर, हट बे में 11 मिलीमीटर, मायाबंदर और पोर्ट ब्लेयर में 8 मिलीमीटर तथा नैनकॉवरी में 6 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
दक्षिणी अंडमान सागर और इससे सटे निकोबार द्वीपीय क्षेत्र में पहुंचे मॉनसून के चलते हम कह सकते हैं कि आने वाले दिनों में बारिश इन भागों में और ज़ोर पकड़ेगी। इस दौरान कुछ इलाकों में मूसलाधार वर्षा भी हो सकती है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए मौसमी परिदृश्य अनुकूल बना हुआ है। हालांकि यहाँ यह भी स्पष्ट करना ज़रूरी है कि भारत में मॉनसून के आगमन की औपचारिक शुरुआत भारत के मुख्य भू-भाग यानि केरल में दस्तक देने के साथ शुरू होती है।
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