राजधानी दिल्ली को मॉनसून न जाने क्यों तरसा रहा है। दिल्ली के लोगों को यकीन नहीं हो रहा कि देश के बाकी इलाकों में बाढ़ जैसे हालात भी बने हुए हैं। आमतौर पर यही है कि आपको जैसा मौसम दिखता है आप ठीक वैसे मौसम की अपेक्षा कहीं और भी कर पाते हैं।
इस समय देश के मध्य इलाकों में और पश्चिमी तटीय भागों में कई जगहों पर भीषण बारिश हो रही है जिसके चलते उन भागों में कई जगहों पर बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। जनजीवन पटरी से उतर गया है। व्यापक रूप में लोग प्रभावित हुए हैं दूसरी ओर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मॉनसून ने ना सिर्फ जून में निराश किया बल्कि जुलाई भी लगभग सूखा ही बीता।
उसके बाद अगस्त की शुरुआत बारिश के साथ होने की उम्मीद थी लेकिन बादल ना जाने दिल्ली को दगा देकर कहां चले गए। इस समय भी बारिश वाले बादल दिल्ली और आसपास के इलाकों पर मंडरा रहे हैं क्योंकि मॉनसून की अक्षीय रेखा दिल्ली के दक्षिण से यानि राजस्थान से होकर गुजर रही है। इसके चलते बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों तरफ से आर्द्र हवाएँ आ रही हैं। बादल भी बन रहे हैं लेकिन यह नमी बारिश में तब्दील नहीं हो पा रही है।
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अगस्त में भी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल में उम्मीद से बिलकुल अलग बहुत मामूली बारिश अब तक देखने को मिली है। अगले तीन-चार दिनों तक बादल इसी तरह बने रहेंगे। उम्मीद है कि 5 और 6 अगस्त को दिल्ली में बारिश कुछ जोर पकड़ सकती है। लेकिन जिस तरह पिछले दिनों उम्मीदों पर पानी फिरा और बारिश नहीं हुई अगर वैसा ही होता है तो निश्चित तौर पर इसका श्रेय प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को दिया जाना चाहिए।
फिलहाल पूर्वी हवाएँ चलने और बादल छाए रहने के कारण तापमान में गिरावट हुई है। पिछले 24 घंटों के दौरान दिल्ली में अधिकतम तापमान 32.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1 डिग्री कम है। लेकिन हवा में नमी अधिक होने के कारण उमस लोगों को परेशान कर रही है।
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