उत्तर भारत के मैदानी भागों में आने वाले दो-तीन दिनों के दौरान मॉनसून का प्रदर्शन कमजोर रहने की संभावना है। हालांकि जिस तरह से रविवार को दिल्ली और इससे सटे शहरों में नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम में अच्छी बारिश की गतिविधियां देखने को मिलीं। दिल्ली-एनसीआर में संभावना है कि 26 से 29 अगस्त के बीच मौसम का कुछ ऐसा ही मिजाज़ रहने के आसार हैं।
मॉनसून ट्रफ अब हिमालय के तराई क्षेत्रों से दक्षिण में राजस्थान पर पहुंच गई है। साथ ही उत्तर भारत में अन्य कोई मौसमी सिस्टम नहीं है जो उत्तर भारत के मैदानी भागों में मौसम को बदल सके यानी बारिश दे सके। लेकिन मध्य प्रदेश पर एक के बाद एक आ रहे मौसमी सिस्टम और उत्तरी मध्य प्रदेश से होकर गुजर रही मॉनसून ट्रफ के प्रभाव से बंगाल की खाड़ी से आने वाली आर्द्र हवाएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नोएडा और गाजियाबाद तक पहुंच रही हैं।
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दिल्ली भी इन हवाओं के दायरे में होगी जिसकी वजह से 28 अगस्त तक दिन में कभी भी अचानक बारिश वाले घने बादल विकसित हो सकते हैं। कुछ स्थानों पर हल्की तो कहीं-कहीं थोड़े समय के लिए तेज बौछारें गिरने की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता। दिल्ली तथा एनसीआर में 30 अगस्त से 1 सितंबर तक मौसम मुख्य शुष्क हो जाएगा।
जैसा कि हम सभी जानते हैं दिल्ली और एनसीआर में वर्ष 2019 के मॉनसून ने बहुत अच्छी बारिश नहीं दी है। जून में इस साल कम बारिश के कई रिकॉर्ड टूटे। दिल्ली में जितनी बारिश होती है जून में उससे 98 फ़ीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई। जुलाई में हालात कुछ बदले लेकिन जून की कमी की भरपाई करने में यह नाकाम रहा।
दिल्ली अब भी 28% वर्षा से पीछे है। सितंबर में भले सामान्य मॉनसून वर्षा हो जाए लेकिन इस कमी की भरपाई होना मुश्किल लग रहा है। मॉनसून सीजन में कम बारिश के कई नुकसान हैं। एक वनस्पतियां विकसित नहीं हो पाती हैं और भूमिगत जल स्तर में वृद्धि नहीं होती है। उसके बाद बारी आती है प्रदूषण की जो अच्छी बारिश के चलते साफ होता है लेकिन जब बारिश कम होती है तब हवाओं में घुला प्रदूषण का जहर साफ नहीं हो पाता और दिल्ली वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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