राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को मॉनसून के लिए अभी और इंतजार करना होगा। आम तौर पर, 29 जून तक मॉनसून दिल्ली पहुंचता है लेकिन इस साल दक्षिणी प्रायद्वीप में इसकी शुरुआत में देरी हो रही है, इसलिए उत्तर पश्चिमी भारत तक पहुंचने के लिए हवा के प्रणाली को कुछ और दिन लग सकते हैं।
दक्षिण पश्चिमी हवाएं और सोमाली जेट ऐसे कारक हैं जो दक्षिण-पश्चिम मानसून की वृद्धि में मदद करते हैं। इस समय धीरे-धीरे यह दोनों कारक सक्रिय हो रहे हैं। हालांकि, अरब सागर में निम्न दाब क्षेत्र बनने के कारण इस समय मॉनसून की गति सुस्त पड़ी हुई है। मॉनसून के दस्तक देने के बाद यह एल पी ए धीरे-धीरे डिप्रेशन का रूप ले लेगा।
ऐसा देखा गया है कि, जब भी बंगाल की खाड़ी या अरब सागर के ऊपर कोई भी ऐसी तीव्र मौसम प्रणाली विकसित होती है, तो उमस भरी हवाएँ उसके चारों ओर परिवर्तित होने लगती हैं, जो कि मॉनसून की प्रगति को प्रभावित करती है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में इस बार मॉनसून की बारिश सामान्य से कम होगी। चूंकि दिल्ली एक छोटा सा इलाका है, इसलिए एक या दो अच्छी बारिश दिल्ली में बारिश की कमी से निपटने के लिहाज़ से परिपूर्ण होगा।
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देश भर में जिस तरह से भीषण गर्मी की स्थिति तेजी से जलाशयों को सुखा रही है और तापमान बढ़ा रही है। ऐसे में देश भर में मॉनसून का काफी इंतजार किया जा रहा है। बता दें कि, पिछले हफ्ते, राजस्थान के चूरू में दिन का तापमान 50.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो कि सामान्य से नौ डिग्री अधिक था।
Image Credit:Deccan Herald
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