इस साल के मॉनसून पर पहले से ही एल-नीनो का खतरा बना हुआ था। वहीं चक्रवात वायु ने इस खतरे में और ज्यादा बढ़ोत्तरी कर दी। स्काइमेट द्वारा जून महीने में महज़ 77% बारिश बारिश का पूर्वानुमान अप्रैल में ही कर दिया गया था।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, मॉनसून के आगमन के लिए शुरूआती मौसमी स्थितियां अनुकूल नहीं थी, वहीं चक्रवात वायु और बड़ी मुसीबत बन गयी। केरल में मॉनसून 2019 के आगमन में देरी के लिए जिम्मेदार स्थितियां अब मॉनसून की प्रगति में भी बाधा बन रही हैं।
चक्रवात वायु के पहली बार दिखने पर ही इस साल मॉनसून में बाधा आने के संकेत थे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि चक्रवात वायु ने मॉनसून को बिलकुल रोक दिया है।
दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून 2019
मॉनसून के 08 जून को आगमन के बाद, 4-5 दिनों तक अच्छी स्थिति में था। इसके बाद इसकी गति धीरे हो गयी। इस समय तक मॉनसून सिर्फ तटीय कर्नाटक और पूर्वोत्तर राज्यों तक ही पहुँच पाया है।
सामान्यतः इस समय तक मॉनसून मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों समेत देश के अधिकांश भागों तक पहुँच जाता है। हालांकि इस बार मॉनसून देश के एक-तिहाई हिस्सों तक ही पहुँच पाया है। तथा इस धीमी प्रगति का कारण चक्रवात वायु है जोकि बारिश की स्थितियों को अपने गिरफ्त में किये हुए है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण-पूर्वी अरब सागर पर बना हुआ तूफ़ान, अब तटीय हिस्सों के उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भागों की ओर बढ़ गया है। इस सिस्टम के कारण केरल में बारिश देखी गयी। लेकिन अब इस सिस्टम के आगे बढ़ने के साथ ही बारिश में कमी हुई है। यहाँ तक कि देश के आंतरिक भागों में बारिश लगभग नदारद रही है।
हालांकि गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय भागों में मध्यम से भारी बारिश देखने को मिली। लेकिन यहां हुई बारिश मॉनसून के कारण नहीं बल्कि प्री-मॉनसून गतिविधियां थीं।
इसके अलावा कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में मॉनसून की प्रगति देखने को नहीं मिली है। मॉनसून की प्रगति के लिए मौसम में होने वाले जरूरी बदलाव जैसे बारिश, हवा का बहाव, तापमान और नमी, देश के अधिकांश भागों से नदारद बनी हुई है।
मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि मॉनसून की वृद्धि में कोई भी सक्रियता नहीं दिखेगी। हालांकि चक्रवात वायु अब खत्म हो गया है तथा हवा का बहाव भी धीरे-धीरे बदल रहा है। इसके बावजूद, मॉनसून 2019 की स्थितियों के सुधरने में 3-4 दिन का समय लग सकता है।
दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून 2019 का अब तक का प्रदर्शन
मॉनसून की प्रगति में देरी के कारण मॉनसून सीज़न के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ रहा है। इसका प्रभाव देशभर में बारिश की स्थिति से देखा जा सकता है, जोकि अधिकांश भागों में कम है। 18 जून तक भारत में बारिश में 44% की कमी दर्ज की गयी है। सामान्यतः देश में 1 से 18 जून के बीच 82.4 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए जबकि अब तक सिर्फ 46.1 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज हुई है।
इन आंकड़ों के हिसाब से जून में मॉनसून का प्रदर्शन उम्मीद से ज्यादा खराब होने की संभावना है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, जून में अब तक बारिश की 40% की कमी दर्ज हुई है जोकि अब किसी चक्रवात और डिप्रेशन के कारण होने वाली बारिश के बिना किसी भी सूरत में पूरा नहीं हो सकता। हालांकि जून में ऐसी किसी भी मौसमी गतिविधि के आसार नहीं दिख रहे हैं।
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स्काइमेट के अनुसार, आने वाले दिनों में बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बनने के आसार है। इसके कारण ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, दक्षिण मध्य महाराष्ट्र और तेलंगाना में भारी बारिश होने उम्मीद है। हालांकि इसके बावजूद बारिश में हुई कमी में सुधार होने के आसार नहीं है।
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