चक्रवाती तूफान ‘नोल’ इस समय डा नैङ्ग के तटों के बेहद करीब पहुँच गया है। यह तूफान पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी दिशा में 18 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से आगे बढ़ते हुए अब तक प्रभावी होता जा रहा था क्योंकि इसे समुद्र की सतह का 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक का अनुकूल तापमान मिल रहा था। तूफान डा नैङ्ग के काफी करीब पहुँच गया है। यह अब कभी भी डा नैङ्ग के तटों पर लैंडफॉल कर सकता है। लैंडफॉल के समय इसकी क्षमता कैटेगरी-1 टाइफून की हो सकती है और हवा की रफ्तार 130 किमी प्रति घंटे की हो सकती है।
यह तूफान फिलीपींस के पूर्व में निम्न दबाव के रूप में विकसित हुआ था। अब तक के अपने सफर में जिन देशों को पार कर यह आगे बढ़ा है उन देशों पर इसका प्रभाव गहरे निम्न दबाव के रूप में देखने को मिला है। उसके बाद सुलू समुद्र में यह ट्रोपिकल डिप्रेशन बना। आगे बढ़ते हुए यह दक्षिण-चीन सागर में पहुँचते-पहुँचते चक्रवाती तूफान बन गया।
वियतनाम के मध्य तटवर्ती भागों पर लैंडफॉल करने के बाद यह थाईलैंड पहुंचेगा और थाईलैंड को पार करने में इसे 24 घंटों का वक्त लगेगा। इन सभी भागों में यह तूफान तेज़ हवाओं के साथ अति भीषण वर्षा देगा। हालांकि 19 सितंबर को यह फिर से कमजोर होकर डिप्रेशन बनेगा और बाद में इसके निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील होने की संभावना है।
English Version: Depression coming from the Bay of Bengal to lash East and Central India, thanks to Typhoon Noul
इसी क्षमता में यह पश्चिमी दिशा में आगे तेज़ी से आगे बढ़ते हुए यह म्यांमार के अराकान तट को पार करेगा और संभवतः 19 सितंबर की शाम या 20 सितंबर की सुबह तक बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी भागों पर आ जाएगा। बंगाल की खाड़ी पर पहले से ही ओडिशा के तटों के पास एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इन दोनों सिस्टमों के आपस में मिलने पर उत्तरी बंगाल की खाड़ी पर एक डिप्रेशन विकसित होने की संभावना है।
डिप्रेशन की क्षमता में आने के बाद यह सिस्टम बंगाल की खाड़ी से आगे पश्चिमी दिशा में बढ़ेगा और देश के पूर्वी तथा मध्य भागों पर फिर से मॉनसून को सक्रिय करेगा। वर्तमान मौसमी परिदृश्य के अनुसार इसके प्रभाव से 20 से 26 सितंबर के बीच ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में व्यापक वर्षा होने की संभावना है। यह काफी बड़े क्षेत्र को प्रभावित करने वाला है। इसका असर दक्षिण में तेलंगाना और उत्तर में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिम में गुजरात तक देखने को मिल सकता है।
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