पिछले सप्ताह के दौरान देश में अच्छी अच्छी बारिश हुई जिसके चलते सितंबर के पहले पखवाड़े में बारिश में रही 30% की कमी की काफी हद तक भरपाई हुई है। अब यह 13% पर आ गई है। इसके चलते देश भर में दीर्घावधि औसत वर्षा (LPA) भी अब 107% पर आ गई है। मॉनसून सीजन के चार महीनों में औसतन बारिश 880 मिमी होती है। पिछले सप्ताह में शुरू हुआ अच्छी बारिश का सिलसिला इस सप्ताह भी जारी रहेगा जिससे बारिश एलपीए 108 या 109% तक जा सकता है।
सरकार ने 2019-20 सीजन में गेहूं और चावल की रिकॉर्ड खरीद की है। COVID-19 महामारी के मद्देनजर अनाजों की अच्छी खरीद महत्वपूर्ण है। लेकिन अच्छी खरीद का एक नकारात्मक पहलू भी है। इससे न सिर्फ नए भंडार गृहों की आवश्यकता बढ़ जाती है बल्कि अनाजों के नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है। कोविड-19 महामारी के लंबे समय तक जारी रहने से अधिकांश क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव देखने को मिला है। महज़ कुछ क्षेत्र ही इसके नकारात्मक प्रभाव से बच पाये हैं। देश का सकल घरेलू उत्पाद पहली तिमाही में 23% तक गिर जाना चिंताजनक है लेकिन कृषि क्षेत्र ने इसे बड़ी संभावित आपदा से बचा लिया है। उन्नत मॉनसून के चलते खरीफ बुआई बीज अच्छी हुई जिससे उर्वरक और ट्रैक्टर उद्योग सहित कृषि संबद्ध अन्य क्षेत्रों ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है।
कोरोनो वायरस महामारी के चलते देश के अर्थव्यसथा को पहुंची गहरी चोट को कृषि क्षेत्र ने आंशिक राहत पहुंचाई है। इस साल मॉनसून सीजन में व्यापक कृषि गतिविधियों की बदौलत ही देश में ट्रैक्टर की बिक्री जुलाई में बीते कई सालों के मुक़ाबले 35% अधिक हुई। बाद के महीनों में भी बिक्री में वृद्धि का रुझान यह साफ संकेत करता है कि बढ़ोत्तरी तात्कालिक नहीं है बल्कि यह लंबे समय तक टिकने वाली है। इससे देश की कृषि क्षमता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
खरीफ बुआई में 14% की वृद्धि के चलते उर्वरकों की बिक्री में 34% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जो यह दर्शाता है कि कृषि-अर्थव्यवस्था काफी हद तक महामारी से अछूती रही है। उर्वरक की बिक्री में भी लगातार 9 वें महीने वृद्धि दर्ज की गई और जुलाई में ही 9 मिलियन टन से अधिक उर्वरक की बिक्री दर्ज की गई। अच्छे मॉनसून और मजदूरों के देश के विभिन्न शहरों से अपने घरों-गांवों की तरफ पलायन से बम्पर खरीफ उत्पादन की संभावना है।
पश्चिम बंगाल से उठा निम्न दबाव का क्षेत्र देश के मध्य भागों की तरफ जाएगा। इसके चलते महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत कई राज्यों में अच्छी बारिश होने की संभावना है। उत्तर-पश्चिम भारत में मौसमी हलचल बिलकुल भी नहीं होगी जो मॉनसून 2020 के सफर के अंत का संकेत है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी पश्चिमी राजस्थान से जल्द ही शुरू हो सकती है।
उत्तर भारत
इस सप्ताह भी पिछले दो हफ्तों की तरह ही उत्तर भारत के पहाड़ों से लेकर मैदानों तक मौसमी हलचल की संभावना कम से कम है। इससे मॉनसून वापसी जल्द शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं। जब भी मॉनसून की वापसी का समय नजदीक आता है, कुछ ऐसे ही मौसमी परिदृश्य देखने को मिलते हैं। उत्तर भारत के अधिकांश भागों में दिन के तापमान में वृद्धि और आर्द्रता के स्तर में गिरावट की संभावना है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सप्ताह के अधिकांश दिनों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। बारिश की गतिविधियां 23 और 24 सितंबर को व्यापक हो सकती हैं।
पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत
पूरे क्षेत्र में सप्ताह भर मौसम की सक्रियता देखने को मिलेगी। बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में गर्जना और बारिश के वज्रपात की संभावना भी रहेगी। सिक्किम, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भारी से अति भारी बारिश होने की संभावना है। नागालैंड और मणिपुर राज्य में भी 21 और 22 सितंबर के बीच और 25 से 27 सितंबर के बीच तेज बारिश होने के आसार हैं।
मध्य भारत
बंगाल की खाड़ी की तरफ से आने वाला मौसमी सिस्टम ओडिशा से मध्य प्रदेश की तरफ जाएगा जिसके चलते ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मॉनसून का उग्र प्रदर्शन देखने को मिल सकता है। बारिश की गतिविधियां सप्ताह के शुरुआती दिनों में ज़्यादा होंगी। गुजरात पर इस सिस्टम का प्रभाव बहुत नहीं होगा। इस पश्चिमी राज्य में बारिश की गतिविधियां इस सप्ताह बहुत अधिक होने की संभावना नहीं है। गुजरात में बारिश मुख्यतः पूर्वी क्षेत्रों और सौराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों तक ही सीमित रहेगी। 21 और 22 सितंबर को मुंबई सहित कोंकण गोवा में भारी बारिश होने की संभावना है।
दक्षिणी प्रायद्वीप
तेलंगाना और तटीय आंध्र प्रदेश में इस सप्ताह के अधिकांश दिनों में बारिश होगी लेकिन भारी बारिश की संभावना 21, 25 और 26 सितंबर को है। तटीय कर्नाटक और केरल के उत्तरी भागों में सप्ताह की शुरुआत में 21 और 22 सितंबर को भारी बारिश होगी और सप्ताह के बाकी दिनों में इन भागों में बारिश में काफी कमी आ जाएगी और हल्की से मध्यम बारिश ही देखने को मिलेगी। बंगलुरु समेत दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में मध्यम वर्षा की उम्मीद है। इस सप्ताह तमिलनाडु में मॉनसून की हलचल सबसे कम होगी।
दिल्ली- एनसीआर
दिल्ली-एनसीआर में सप्ताह कि शुरुआत बेहद गर्म मौसम के साथ होगी क्योंकि तापमान 35 डिग्री या उससे भी अधिक रहेगा। लेकिन 22 से 24 सितंबर के बीच राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आंधी और बादलों की गर्जना के साथ कुछ बौछारें पड़ने का अनुमान जिससे गर्मी से मामूली राहत मिल सकती है। मॉनसून वापसी के संकेत दिखाई दे रहे हैं और अक्टूबर के पहले सप्ताह तक मॉनसून दिल्ली समेत उत्तर भारत को अलविदा कह देगा।
चेन्नई
चेन्नई में पूरे सप्ताह आंशिक रूप से बादल छाए रहने के बीच मौसम गर्म और उमस भरा रहने की उम्मीद है। सप्ताह के उत्तरार्ध में कुसी स्थानों पर बारिश की संभावना है।
मॉनसून की विदाई से पहले ही शुरू हो जाती है वायु प्रदुषण की फिक्र
मार्च के बाद से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता संतोषजनक ’स्तर में बनी हुई है। बेहतर वायु गुणवत्ता के विभिन्न कारण थे, जिसमें लॉकडाउन सबसे प्रमुख कारण है। देशव्यापी लॉक डाउन के चलते देश के लगभग सभी कारखाने और वाहन यातायात जुलाई के मध्य तक बंद रहे। निर्माण कार्य भी रोक दिया गया था। कम यातायात और व्यावसायिक गतिविधियों में बंदी के कारण हवा में प्रदूषण रूपी ज़हर घोलने वाले धुएं के कणों और धूल के कणों का उत्सर्जन नहीं हो रहा था जिससे वायु गुणवत्ता काफी बेहतर बनी रहीं।
लेकिन जैसे-जैसे धीरे-धीरे लॉक डाउन में ढील देनी और अनलॉक की व्यवस्था करनी शुरू की, हवा गुणवत्ता भी बिगड़ने लगती है। पिछले सप्ताह के दौरान, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई जगह ऐसे रहे जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 'मध्यम' श्रेणी में रहा। लेकिन हवाओं का रुख बदलकर एक बार फिर से पश्चिमी होने के कारण PM 2.5 संतोषजनक स्तर पर आ गया। लेकिन वाहनों की व्यापक आवाजही, कारखानों में काम शुरू होने और भवनों तथा सड़कों इत्यादि के निर्माण शुरू होने के कारण पीएम-10 दिल्ली-एनसीआर के कुछ इलाकों में मध्यम श्रेणी में है। प्रदूषण में वृद्धि के लिए मौसम भी एक महत्वपूर्ण कारक है। पिछले दो हफ्तों से दिल्ली और एनसीआर सहित उत्तर-पश्चिम भारत में मौसम लगभग शुष्क और गर्म बना हुआ है।
शुष्क मौसम की स्थिति में पश्चिमी हवाओं के साथ कई बार राजस्थान की तरफ से धूल के कण निरंतर पहुँचते रहते हैं जिससे प्रदूषण बढ़ने लगता है। यही कारण है कि इस समय कुछ स्थानों पर पीएम-10 मध्यम स्तर पर दिखाई दे रहा है।
इस बीच दिल्ली और एनसीआर में 22 से 24 सितंबर के बीच हल्की बारिश हो सकती है। इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि कम से कम अगले 15 दिनों के दौरान दिल्ली सहित उत्तर पश्चिम भारत में प्रदूषण के स्तर में बहुत वृद्धि नहीं होगी।
मॉनसून की वापसी के बाद, अक्टूबर के पहले सप्ताह तक, हवाएँ लंबे समय तक उत्तर और उत्तर-पश्चिमी दिशा से चलेंगी। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में धान की पराली सहित खरीफ फसलों के अवशेष जलाने के काम शुरू होंगे। पश्चिमी हवाओं के साथ पारली का धुआँ भी हर साल की तरह दिल्ली के आसमान पर अपना असर दिखाना शुरू करेगा जिससे आशंका है कि अक्तूबर के तीसरे हफ्ते से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र प्रदूषण की गिरफ्त में आ जाएगा।
Image credit: TripSavvy
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