बंगाल की खाड़ी में 20 सितंबर को एक प्रभावी निम्न दबाव का क्षेत्र म्यांमार की तरफ से आने वाला है। बंगाल की खाड़ी में सितंबर महीने का यह पहला डिप्रेशन भी हो सकता है। इसके प्रभाव से देश के अधिकांश इलाकों में बारिश की गतिविधियां बढ़ने वाली हैं, सिवाय उत्तर भारत के। उत्तर भारत में शुष्क मौसम और गर्मी का प्रकोप लंबे समय से जारी है।
संभावित डिप्रेशन के चलते उम्मीद कर सकते हैं कि जून से सितंबर के बीच 4 महीनों के इस मॉनसून सीजन की विदाई भी झमाझम बारिश के साथ होगी। यह सिस्टम आने वाले दिनों में कई स्थानों पर व्यापक वर्षा दे सकता है। उल्लेखनीय है कि यह सिस्टम बंगाल की खाड़ी में ही नहीं उभरेगा बल्कि यह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों पर तबाही मचाते हुए आने वाले टाइफून नोल के प्रभाव से बनेगा।
टाइफून नोल (चक्रवाती तूफान) इस समय वियतनाम के तटों से 1000 किलोमीटर दूर 13.1 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 117.6 डिग्री पूर्वी देशांतर के आसपास है। इस सिस्टम के अगले 24 घंटों में कैटेगरी-1 के टाइफून बनने की संभावना है और यह उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ता रहेगा। यह तूफान 18 सितंबर को वियतनाम के तटवर्ती क्षेत्रों को पार कर सकता है और उसी दिन यह लाओस से आगे निकल जाएगा। संभवत यह कंबोडिया को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करने वाला है। उसके बाद यह सिस्टम कमजोर होकर चक्रवाती तूफान की क्षमता में आ जाएगा और 19 सितंबर को थाईलैंड में इसका लैंडफॉल होगा। 19 सितंबर को ही यह सिस्टम म्यांमार के अराकान तटों को पार कर सकता है।
कई देशों पर जल प्रलय मचाने के बाद यह सिस्टम 20 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में पहुंचेगा और इसकी क्षमता उस समय गहरे निम्न दबाव के क्षेत्र की रहेगी। वर्तमान स्थिति संकेत कर रही है कि यह सिस्टम बंगाल की खाड़ी में पहुंचने के बाद लगभग 36 घंटों में ही डिप्रेशन की क्षमता में तब्दील हो सकता है। इसके ट्रैक को लेकर अब स्थितियाँ कुछ हद तक साफ होने लगी हैं। उम्मीद की जा रही है कि बंगाल की खाड़ी में पश्चिमी दिशा में बढ़ते हुए 21 सितंबर को यह पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा के तटीय भागों से भीतरी हिस्सों पर पहुंचेगा। जमीनी भागों पर भी इसका रुख पश्चिमी रहेगा और यह छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश की तरफ आएगा।
मध्य भारत में आने के बाद इसके आगे बढ़ने की रफ़्तार पर ब्रेक लग सकती है और आगे यानी राजस्थान तक जाने की संभावना बहुत कम है। उम्मीद है कि यह मध्य प्रदेश के इर्द-गिर्द ही 24 सितंबर तक घूमता रहेगा और मध्य भारत के भागों के मौसम को प्रभावित करता रहेगा। इसका प्रभाव आसपास के अनेक राज्यों पर भी पड़ेगा। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश तक यह सिस्टम बारिश दे सकता है।
इन क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि सिस्टम का असर उत्तर भारत के कुछ इलाकों तक दिखेगा और राजस्थान तथा दिल्ली एनसीआर पर भी बादल आ जाएंगे। लेकिन बारिश इन भागों में अच्छी होगी ऐसे संकेत फिलहाल नहीं मिल रहे हैं। राजस्थान की तरफ इसके न जाने को हम इस बात का संकेत मान सकते हैं कि मॉनसून पश्चिमी राजस्थान से अपनी वापसी की शुरुआत सितंबर के आखिर में कर सकता है और पश्चिमी राजस्थान से शुरू होते ही यह समूचे उत्तर भारत को अलविदा कह देगा। उत्तर भारत को छोड़कर देश के बाकी क्षेत्रों में मॉनसून की विदाई अच्छी बौछारों के बीच होने की संभावना नजर आ रही है।
Image Credit: RajyaSabha TV
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