[Hindi] ला नीना पर रहा मॉनसून 2020 का सफर, आईओडी ने इस बार बनाए रखी इससे दूरी

September 16, 2020 9:41 AM | Skymet Weather Team

मॉनसून 2020 की शुरुआत सकारात्मक हुई थी लेकिन जुलाई में यह कमजोर हो गया था जिससे देश के सामने कोविड महामारी के बीच दोहरी चुनौती और चिंता पैदा हो गई थी। जुलाई में कमजोर मॉनसून के बावजूद इस समय मॉनसून वर्षा सामान्य से ऊपर है। उभरते ला नीना और तटस्थ आईओडी के चलते भारत का मुख्य बारिश का मौसम देश के ज्यादातर भागों के लिए सकारात्मक और अच्छा रहा है। कोई भी सामुद्रिक स्थिति मॉनसून के बेहतर प्रदर्शन और अच्छी वर्षा की राह में बाधक नहीं रही।

मॉनसून का आगमन देश में सामान्य समय से पहले हुआ और जून जो कि मॉनसून सीजन का पहला महीना है उसमें 18% अधिक वर्षा दर्ज की गई। लेकिन मॉनसून सीजन के दूसरे और सबसे महत्वपूर्ण महीने जुलाई में यह कमजोर रहा और जुलाई में बारिश में 10% की कमी दर्ज की गई। गौरतलब है कि 4 महीनों के मॉनसून सीजन में जुलाई और अगस्त में सबसे ज्यादा वर्षा होती है। जून में 18 फ़ीसदी ज्यादा और जुलाई में 10 फीसदी कम के बीच जुलाई के आखिर में मॉनसून सामान्य पर था। अगस्त में मॉनसून में व्यापक सुधार हुआ और अगस्त महीने में दीर्घावधि औसत वर्षा की तुलना में सामान्य से 27% अधिक वर्षा दर्ज की गई जिससे अगस्त खत्म होने पर मॉनसून 110% पर पहुंच गया था। लेकिन सितंबर की शुरुआत सुस्त रही और सितंबर के पहले सप्ताह में देश में औसत से 30% कम वर्षा दर्ज की गई। हालांकि सितंबर महीने का पहला मॉनसून सिस्टम बंगाल की खाड़ी में विकसित हुआ और उसने इस कमी की भरपाई की। सितंबर में अब बारिश में 16 फ़ीसदी की कमी रह गई है। 1 जून से अब तक हुई बारिश औसत से 7% ऊपर बनी हुई है।

अब ला नीना पर निगरानी शुरू हो गई है और संभवतः इस साल के अंत या शीत ऋतु में ला नीना की स्थिति बन सकती है। फरवरी 2018 के बाद यानी 30 महीनों के बाद पहली बार नीनो औसत से 1 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंचा है। इसके अलावा अन्य तीनों संकेतक भी नकारात्मक हैं। दिसंबर तक ला नीना की संभाव्यता 70% से अधिक है और तटस्थ स्थिति की संभावना 30% से भी कम है और इस दौरान अल नीनो की संभाव्यता शून्य है।

इंडियन ओशन डायपोल पिछले कुछ हफ्तों से थ्रेसहोल्ड वैल्यू से नीचे रहा है जो कि -0.4 है। इसीलिए मॉनसून को सक्रिय करने में इसकी कोई भूमिका नहीं रही है। सितंबर और अक्टूबर के दौरान इसके तटस्थ या नकारात्मक रहने की संभावना है।

तीसरा सामुद्रिक पैरामीटर है एमजेओ जो कि सितंबर के बाकी बचे दिनों में हिंद महासागर से दूर जा रहा है। इसकी वापसी अक्टूबर के मध्य या आखिर में होने की संभावना है। इसलिए सितंबर के बाकी बचे दो हफ्तों में यह मॉनसून को प्रभावित करने वाला नहीं है।

देश के चार प्रमुख क्षेत्रों में मध्य और दक्षिणी भागों पर सामान्य से काफी अधिक वर्षा हुई है। बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल समेत पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत भी सामान्य से अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है। जबकि उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भागों में 34% की कमी है। इसके साथ उत्तर भारत में भी बारिश औसत से कम बनी हुई है। इन सबके बीच मॉनसून 2020 की विदाई सामान्य से अधिक वर्षा के साथ होने की संभावना है और आंकड़े 107% या उससे ऊपर रहेंगे।

Image credit: Kerala ITimes

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