दक्षिण पश्चिम मॉनसून साल 2020 में वापसी की राह पर, 11 दिनों की देरी से 28 सितंबर 2020 को निकला। उसके बाद अगला कदम 30 सितंबर को उठाया जब इसने समूचे उत्तर पश्चिम भारत को अलविदा कहा। दूसरे चरण में जम्मू कश्मीर से लेकर दिल्ली तक के क्षेत्र शामिल हैं। 30 सितंबर को मॉनसून की विदाई जम्मू कश्मीर से लेकर गिलगित-बालटिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हो गई।
अगले दो-तीन दिनों के दौरान उत्तरी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, राजस्थान के लगभग सभी क्षेत्रों और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों से मॉनसून के वापस होने की संभावना है। लेकिन मध्य भारत के बाकी हिस्सों और पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्यों से इसकी वापसी कुछ समय के लिए अभी लटक सकती है, क्योंकि एक निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी पर बना हुआ है।
निम्न दबाव के रूप में उठा यह सिस्टम अगले 1 सप्ताह तक अस्तित्व में रहेगा और इसकी वजह से पूर्वी दक्षिण पूर्वी हवाएं देश के कई राज्यों पर चलती रहेगी। इसके कारण पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश तो होगी ही, साथ ही मध्य भारत में भी कुछ स्थानों पर वर्षा होगी। यह उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए 9-10 अक्टूबर तक पश्चिमी मध्य प्रदेश और इससे सटे गुजरात के पास पहुंच जाएगा। इसके आगे बढ़ने की इसी प्रक्रिया के दौरान बारिश की गतिविधियां भी पश्चिमी दिशा में बढ़ती रहेंगी और 9-10 अक्टूबर के बाद जब यह सिस्टम कमजोर होते हुए गुजरात को पार कर जाएगा तब फिर से मॉनसून की वापसी शुरू होगी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं जहां पर 10-15 अक्टूबर तक मॉनसून की गतिविधियां जारी रहना सामान्य मौसमी घटना है। लेकिन इसके बाद मॉनसून समाप्त हो जाता है क्योंकि 15 अक्टूबर के आस-पास ही दक्षिण भारत में उत्तर पूर्वी मॉनसून के आगमन की आहट मिलने लगती है। इस बदलाव के साथ-साथ मॉनसून की विदाई के बाद बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफानों के बनने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं और वर्तमान मौसमी तथा समुद्र की स्थितियां 10 अक्टूबर के बाद बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान के लिए अनुकूल बनती हुई नजर आ रही हैं।
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