इस साल मॉनसून की विदाई की शुरुआत 28 सितंबर से हुई है। पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून के लौटने का समय 2019 में संशोधित कर 17 सितंबर किया गया था। इससे पहले मॉनसून की वापसी की सामान्य तिथी 1 सितंबर थी। इस साल मॉनसून की विदाई में 11 दिनों की देरी हुई और वापसी के अपने पहले चरण में मॉनसून अमृतसर, बठिंडा, गंगानगर तथा जैसलमेर से विदा हो गया था।
30 सितंबर को मॉनसून की वापसी की सीमा लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, अलवर तथा नागौर पर पहुँच गई। इसका अर्थ यह कि समूचे पश्चिमी हिमालय क्षेत्रों के साथ पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित राजस्थान के कुछ भागों से मॉनसून विदा हो चुका है।
जैसलमेर तथा बीकानेर से मॉनसून के वापसी की सामान्य तारीख 17 सितंबर है जिसमें 11 दिनों की देरी देखी गई। चुरू से मॉनसून सामान्यतः 19 सितंबर को विदा हो जाता है परंतु यहां भी 10 दिनों की देरी हुई। दिल्ली से मॉनसून के विदा होने की सामान्य तारीख 25 सितंबर है, परंतु दिल्ली से मॉनसून 30 सितंबर को विदा हुआ। यहां भी 5 दिनों की तेरी देखी गई।
जयपुर से मॉनसून के वापस लौटने की तारीख 23 सितंबर है परंतु यहां भी मॉनसून की विदाई में देरी हुई। हमारा अनुमान है कि अगले 24 घंटों के दौरान मॉनसून जयपुर से विदा ले लेगा।
मॉनसून जब वापसी की राह पर निकलता है तो तेज़ी से तमाम क्षेत्रों को अलविदा कह जाता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मॉनसून के विदा होने की तारीख 3 अक्टूबर है। हमारे अनुमान के अनुसार मॉनसून इसी दिन लखनऊ से वापस लौट जाएगा।
इस वर्ष अहमदाबाद तथा भोपाल से मॉनसून कुछ देरी के साथ विदा होगा। सामान्यतः अहमदाबाद तथा भोपाल से 30 सितंबर तक मॉनसून वापसी की रेखा आगे बढ़ जाती है। इन शहरों से मॉनसून कम से कम 1 सप्ताह की देरी से विदा होगा।
नागपुर से मॉनसून वापस लौटने की तारीख 6 अक्टूबर है। हमारा अनुमान है कि नागपुर से मॉनसून 3 या 4 दिन की देरी से विदा होगा। वाराणसी से मॉनसून के वापस होने की तारीख 5 अक्टूबर, गया से 8 अक्टूबर तथा कोलकाता से 12 अक्टूबर है। इन सभी शहरों से मॉनसून की वापसी निर्धारित समय के बाद ही होगी।
इस बीच बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भागों पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया है, जिसका प्रभाव अगले 4 या 5 दिनों तक पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा विदर्भ सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश में देखने को मिलेगा। इन राज्यों में हवाओं की दिशा दक्षिण पूर्वी रह सकती है तथा वर्षा की गतिविधियां भी जारी रह सकती हैं। इसके चलते मॉनसून की वापसी में कुछ विलंब होने की संभावना है।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून मुंबई से 8 अक्टूबर, पुणे से 11 अक्टूबर को विदा होता है। इस वर्ष इन दोनों शहरों से भी मॉनसून के वापस लौटने में देरी हो सकती है। हालांकि 15 अक्तूबर के बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी की लाइन निर्धारित नहीं होती और यह दक्षिण प्रायद्वीप की सीमा तक ही वापस लौट पाता है क्योंकि उसके बाद वाले क्षेत्रों पर उत्तर-पूर्वी मॉनसून का प्रभाव शुरू हो जाता है।
उत्तर-पूर्वी मॉनसून
एक तरफ जहां दक्षिण पश्चिमी मॉनसून विदा ले रहा होता है वहीं दूसरी ओर उत्तर पूर्वी मॉनसून के आगमन का समय हो जाता है। दक्षिण-पश्चिम मोसनूँ 15 अक्टूबर तक पूरे उत्तर, मध्य तथा पूर्वी भारत से विदा ले लेता है। उसके बाद उत्तर-पूर्वी मॉनसून वर्षा की शुरुआत होती है। उत्तर पूर्वी मॉनसून मुख्यतः दक्षिण भारत को प्रभावित करता है। अब उत्तर पूर्वी मॉनसून और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले संभावित चक्रवाती तूफान का इंतज़ार होगा।
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