बंगाल की खाड़ी पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया है। यह सिस्टम एक तरफ दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के वापस लौटने में बाधा बनेगा तो दूसरी ओर इसके प्रभाव से देश के कई राज्यों पर फिर से बारिश बढ़ने वाली है। इस समय निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश और इससे तटवर्ती ओडिशा सा के पास बंगाल की खाड़ी के मध्य पश्चिमी भागों पर है। अगले 48 घंटों तक यह बंगाल की खाड़ी में ओडिशा और इससे सटे भागों के करीब बना रहेगा। उसके बाद इस सिस्टम के ओडिशा के रास्ते जमीनी भागों पर आने की संभावना है।
इस समय एक उच्च दबाव का रिज बना हुआ है जो 5 सितंबर तक निम्न दबाव के पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ने की राह में बाधक रहेगा। उसके बाद यह सिस्टम ओडिशा के रास्ते उत्तर पश्चिमी दिशा में जाएगा। शुरुआती समय में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश उसके बाद यह फिर से दक्षिण पश्चिमी दिशा की तरफ होकर महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र पर पहुंच सकता है। 10 अक्टूबर के आसपास इसके महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र पर पहुंचने की संभावना है।
इस सिस्टम का प्रभाव पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात तक दिखेगा। 5 से 10 अक्टूबर के बीच इन राज्यों पर इसका प्रभाव देखा जा सकता है। हालांकि यह वो राज्य हैं जिन्हें बहुत अधिक बारिश नहीं देने वाला। इसका मुख्य असर ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ पर अगले 4-5 दिनों के दौरान यानि 6 अक्टूबर तक रहने की संभावना है। इन भागों में इसी दौरान मध्यम से भारी वर्षा देखने को मिलेगी। उसके बाद जब यह आगे बढ़ेगा तब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात पर भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है।
ओडिशा, उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल तथा पूर्वोत्तर भारत पर इस सिस्टम के प्रभाव से पहले से ही बारिश बढ़ गई है। बंगाल की खाड़ी से आर्द्र हवाएं इन भागों में लगातार चलती रहेंगी और अगले दो-तीन दिनों तक इन भागों पर इसी तरह से बारिश होने की संभावना बनी रहेगी।
मॉनसून की वापसी पर लगेगी ब्रेक
बंगाल की खाड़ी पर उठे इस सिस्टम के प्रभाव से मॉनसून की वापसी पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के अलावा मध्य भारत कुछ हिस्सों में अगले कई दिनों तक बाधित हो सकती है। उम्मीद है कि 10 अक्टूबर तक इस सिस्टम का प्रभाव रहेगा और 10 अक्टूबर तक मॉनसून की वापसी में ब्रेक लग जाएगी। आमतौर पर अक्टूबर के पहले पखवाड़े तक मानसूनी हवाओं मध्य और पूर्वी भारत पर बना रहता है और कुछ इलाकों में रुक-रुक कर बारिश होती रहती है। इस समय यही स्थिति बनी है।
मॉनसून की वापसी के बाद चक्रवात उठने की संभावना
मॉनसून के वापस लौट जाने के बाद अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर महीनों में बंगाल की खाड़ी में तूफान के विकसित होने की संभावना रहती है। इसीलिए इसे पोस्ट मॉनसून सीजन के साथ ही साइक्लोन सीजन भी कहा जाता है। इन तीन महीनों के दौरान बंगाल की खाड़ी काफी सक्रिय रहती है जिससे बिना साइक्लोन के भी यह पूर्वी व पूर्वोत्तर राज्यों और कभी-कभी मध्य तथा दक्षिण भारत के राज्यों पर काफी अच्छी वर्षा मॉनसून देती रहती है।
Image credit: Rajya Sabha TV
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