इस सप्ताह के आखिर तक बंगाल की खाड़ी पर एक डिप्रेशन विकसित होने वाला है। इसके डीप डिप्रेशन बनने की संभावना है। थाईलैंड की खाड़ी की तरफ से 7 अक्टूबर को एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तरी अंडमान सागर में प्रवेश कर सकता है। यही सिस्टम धीरे-धीरे प्रभावी होगा और डीप डिप्रेशन बनेगा। बंगाल उत्तरी अंडमान सागर से उत्तर-पश्चिमी दिशा में बढ़ते हुए अगले 48 घंटों के भीतर यह सिस्टम बंगाल की खाड़ी पर पहुँच जाएगा और निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाएगा। निम्न दबाव का क्षेत्र बनते-बनते यह खाड़ी के मध्य भागों पर पहुँच जाएगा। इस सिस्टम के जल्द ही डिप्रेशन और उसके बाद डीप डिप्रेशन में तब्दील होने की पूरी संभावना है। यह ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटों की तरफ आगे बढ़ेगा।
थाईलैंड और म्यांमार को पार कर एक के बाद एक मौसमी सिस्टम बंगाल की खाड़ी में प्रवेश कर रहे हैं और पुनः निम्न दबाव के क्षेत्र या डिप्रेशन की क्षमता में आने की संभावना है। इस समय एक निम्न दबाव का क्षेत्र ओडिशा और इससे सटे भागों पर बना हुआ है। इसके बाद एक अन्य सिस्टम खाड़ी पर विकसित होगा। इसके भी ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटों को पार करने की संभावना है। भारत के पूर्वी तटों तक संभावित सिस्टम 13 अक्टूबर के आसपास पहुंचेगा।
English Version: Depression forming in the Bay of Bengal may target Odisha and Andhra Pradesh
आपको बता दें कि मॉनसून के वापस होते ही साइक्लोन सीजन शुरू हो जाता है। अक्टूबर-नवंबर-दिसम्बर में बंगाल की खाड़ी चक्रवाती तूफान विकसित होने के अनुकूल रहती है। इस दौरान तूफान बनने की ज़्यादा संभावना अक्टूबर में होती है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जाते हैं तूफान बनने की संभावना कम होती जाती है। यानि कि अक्टूबर में नवंबर और दिसम्बर की तुलना में तूफान विकसित होने की संभाव्यता ज़्यादा रहती है। अक्टूबर में बनने वाले तूफान आमतौर पर ओडिशा और आंध्र प्रदेश का रुख करते हैं। जैसा कि हमने बीते वर्षों में देखा भी है। 12 अक्टूबर 2013 को अति भीषण चक्रवाती तूफान (ESCS) फैलिन गोपालपुर के पास ओडिशा के तटों से टकराया था। यह ओडिशा में 1999 में आए समुद्री तूफान के बाद का सबसे खतरनाक तूफान था। 2014 में 12 अक्टूबर को खाड़ी में उठा तूफान ‘हुदहुद’ विशाखापत्तनम के पास से आंध्र प्रदेश से टकराया था।
मॉनसून की वापसी शुरू होने के बाद हवाओं के रुख में बदलाव आ जाता है, समुद्र की सतह का तापमान बढ़ने लगता है। इन स्थितियों को तूफान बनने के लिए अनुकूल माना जाता है। पश्चिमी प्रशांत महासागर भी सक्रिय रहता है और टाइफून बनते रहते हैं। भीषण श्रेणी के इन तूफानों का बचा हुआ प्रभाव पूर्वी एशियाई देशों को पार कर बंगाल की खाड़ी में पहुंचता है, जो तूफान उठने में सकारात्मक भूमिका अदा करता है। यही कारण है कि अक्टूबर-नवंबर-दिसम्बर में भारत के पूर्वी तटों के लिए खतरा बना रहता है।
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