भारतीय उप-महाद्वीप के लिए दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सबसे महत्वपूर्ण मौसमी सीजन है। चार महीनों की इस अवधि से भारत का हर क्षेत्र और हर व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। यह सामुद्रिक परिस्थितियों से संचालित है, इसलिए इसके बारे में बहुत पहले से अनुमान लगा पाना कठिन होता है।
पूरे मॉनसून सीजन में दीर्घावधि या मध्यम अवधि के लिए पूर्वानुमान की प्रक्रिया को काफी जटिल माना जाता है। मॉनसून का प्रदर्शन पिछले 100 वर्षों में कभी भी लगातार दो वर्षों में सभी क्षेत्रों के लिए एक जैसा नहीं रहा है। यही तथ्य अपने आपमें काफी है, मॉनसून के प्रदर्शन की जटिलताओं को समझने के लिए।
मॉनसून 2020 से जुड़े कुछ उल्लेखनीय तथ्य, जो इसे मॉनसून के इतिहास में स्थान दिलाएँगे:
1. इस साल मॉनसून निर्धारित तिथि 1 जून को केरल में आ गया था। इससे पहले 2013 में 1 जून को केरल में मॉनसून का आगमन हुआ था।
2. मॉनसून 2020 को, लगातार दूसरे वर्ष सामान्य से बेहतर मॉनसून होने का श्रेय भी जाता है। इस साल दीर्घावधि औसत वर्षा की तुलना में 109% वर्षा दर्ज की गई। 2019 में 110% वर्षा (एलपीए) हुई थी। इससे पहले लगातार दो वर्षों में सामान्य से ज़्यादा बारिश सन 1958 और 1959 में दर्ज की गई थी।
3. मॉनसून सीजन के महत्वपूर्ण महीने जुलाई में सामान्य से बहुत कम बारिश के बावजूद इस साल मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य से ऊपर रहा।
4. अगस्त 2020 पिछले चार दशकों में सबसे अधिक वर्षा वाला महीना रहा। अगस्त में सामान्य से 27% ज्यादा वर्षा रिकॉर्ड की गई।
5. सौराष्ट्र और कच्छ को सूखा प्रभावित क्षेत्रों के तौर पर जाना जाता है। इस क्षेत्र में इस साल सामान्य से 126% अधिक वर्षा हुई, जो पिछले एक दशक का रिकॉर्ड है।
6. पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र रहा जहां इस साल सामान्य से 37% कम बारिश हुई। यह इस क्षेत्र में कम बारिश का 5 वर्षों का रिकॉर्ड है।
7. मुंबई (सांताक्रूज) में पूरे मॉनसून सीजन में 2206 मिमी बारिश होती है जबकि इस बार लगभग दुगुनी 3687 मिमी बारिश हुई।
8. दिल्ली में 467.7 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से 20% कम है।
9. मॉनसून 2020 की एक बड़ी बात-‘मॉनसून ब्रेक की कंडीशन’ देखने को नहीं मिली।
10. मॉनसून के समय से पहले आने और देर से वापस लौटने के बावजूद उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 17% कम वर्षा दर्ज की गई।
Image Credit: The Indian Express
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