मानसून 2019 के आगमन में बस कुछ ही दिन बचे हैं। यूं कहें तो दक्षिण-पश्चिमी मानसून की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में रहने और आजीविका के लिए मॉनसून की भूमिका मुख्य है। साथ ही, मानसून लोगों के भाग्य को भी नियंत्रित करता है। बता दें कि, देश के कुल वार्षिक बारिश में अकेले मॉनसून की भागीदारी लगभग 70 प्रतिशत के आसपास होती है। इसके अलावा मानसून की महत्व और भी अधिक है क्योंकि ये बारिश कृषि और अर्थव्यवस्था दोनों को सीधे प्रभावित करती है। मानसून का समय पर आगमन वास्तव में एक बहुत बड़ा वरदान है।
स्काइमेट द्वारा किए गए पूर्वानुमान के मुताबिक, भारतीय मुख्य भूमि से पहले, मॉनसून का आगमन अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर 20 मई को होगा। इसके बाद, केरल पर शुरुआत करने से पहले मॉनसून लगभग 10 दिन का समय लेती है। जो कि चार महीने के लंबे मौसम के लिए भारत में प्रवेश करने का मुख्य द्वार है।
जैसे-जैसे मॉनसून के आने का समय नज़दीक आता जा रहा है, सभी की निगाहें दक्षिणी प्रायद्वीप पर टिकी हैं, क्यूंकि बादलों के साथ गरज की स्थिति इस क्षेत्र पर बनी हुई है। जो कि बंगाल की खाड़ी के भागों के ऊपर दिख रही है। स्काईमेट पहले से ही दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून के आगमन के संकेतों की तलाश कर रहा है।
शुक्रवार को उपग्रह तस्वीरों से पता चला है कि, दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में भी इसी तरह की गरज की स्थिति बनी हुई है। साथ ही, अंडमान सागर और बंगाल की दक्षिण-पूर्वी खाड़ी पर बादल छाया हुआ है।
Also Read In English: With few days left for Monsoon arrival in India, all eyes turn skyward
Image Credit: Hindustan Times
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।