मध्य भारत पर इस साल मॉनसून मेहरबान रहा है। लेकिन मध्य प्रदेश के कई इलाकों के लिए यह मेहरबानी अब सितम बन गई है। आम आदमी से लेकर किसान तक निरंतर हो रही मॉनसून वर्षा के कारण परेशान है। इस बारिश से जल्द पिंड नहीं छूटने वाला क्योंकि बंगाल की खाड़ी से उठा निम्न दबाव का क्षेत्र आगे बढ़ते हुए ओडिशा और इससे सटे छत्तीसगढ़ पर पहुँच गया है।
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यह पश्चिमी तथा उत्तर पश्चिमी दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। साथ ही मॉनसून ट्रफ भी देश के मध्य भाग ऊपर बनी हुई है। इन सिस्टमों के प्रभाव से मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में भी मॉनसून लगातार प्रभावी बना रहेगा। आशंका है कि अगले तीन-चार दिनों तक मध्य प्रदेश के लगभग सभी इलाकों में मॉनसून वर्षा देखने को मिलेगी।
बीते 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के मंडला में 134 मिलीमीटर की भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा सिवनी में 94 मिमी और उज्जैन में 40 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
मध्य प्रदेश में ज्यादातर जगहों पर यही स्थिति आने वाले दिनों में जारी रहेगी और उज्जैन, इंदौर, भोपाल, होशंगाबाद, बेतुल, सिवनी, शहडोल, धार, रायसेन, जबलपुर सहित कई इलाकों में अगले कुछ दिनों के दौरान मध्यम से भारी बारिश देखने को मिलेगी। उज्जैन, होशंगाबाद, इंदौर, भोपाल और बेतूल सहित कई शहरों में बाढ़ जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं, जहां पहले से अच्छी वर्षा के कारण कई इलाके जलमग्न है।
मॉनसून वर्षा आमतौर पर खरीफ फसलों के लिए लाभप्रद होती है लेकिन मध्य प्रदेश में पिछले कई दिनों से जिस तरह के हालात बने हुए हैं इसमें सोयाबीन और धान सहित कुछ फसलों पर अधिक पानी का संकट देखने को मिल रहा है। बारिश में कमी ना आने के कारण अगले तीन-चार दिनों के दौरान कुछ और क्षेत्रों में फसलें जलमग्न हो सकती हैं जिससे फसलों के नुकसान की आशंका है।
जून महीने में मध्य प्रदेश पर मॉनसून कमजोर था लेकिन उसके बाद स्थितियां सुधरीं और जुलाई तथा अगस्त में काफी अच्छी वर्षा रिकॉर्ड की गई। यही हाल सितंबर में भी बना हुआ है और बंगाल की खाड़ी से आने वाले सिस्टमों के कारण मध्य प्रदेश के कई इलाकों में लगातार बारिश देखने को मिल रही है। पश्चिमी मध्य प्रदेश में इस साल 1 जून से 7 सितंबर के बीच सामान्य से 34% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है जबकि पूर्वी मध्य प्रदेश में सामान्य से 3% अधिक बारिश हुई है।
Image credit: OneIndia
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