उत्तर प्रदेश के अधिकांश भागों में बीते कई दिनों से वर्षा की गतिविधियाँ कम हुई हैं। हालांकि हाल ही में उत्तर प्रदेश के मध्य भागों में हल्की वर्षा देखने को मिली है। लेकिन यह बारिश उल्लेखनीय नहीं थी। लंबे समय से बारिश ना होने के कारण बारिश के आंकड़ों में काफी गिरावट देखने को मिली है। 1 जून से 7 सितंबर के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 28% कम जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 20% कम बारिश देखने को मिली है।
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भले ही मॉनसून अपने आखिरी चरण में पहुँच गया है लेकिन अब तक उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में गर्मी और उमस ने बुरा हाल किया है। उत्तर प्रदेश में बारिश में इस कमी के पीछे मॉनसून की अक्षीय रेखा को कारण माना जा रहा है। आमतौर पर मॉनसून की रेखा में बदलाव आता रहता है लेकिन इस साल जुलाई से ही ज़्यादातर समय मॉनसून की अक्षीय रेखा मध्य भारत पर ही बनी रही है। इसके अलावा प्रभावी मौसमी सिस्टम उत्तर प्रदेश पर नहीं आए हैं जिसके कारण राज्य में बारिश कम हुई है।
इस बीच एक निम्न दबाव का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में विकसित होने के बाद ओड़ीशा को पार करते हुए उत्तरी छत्तीसगढ़ तक पहुँच गया है। यह सिस्टम धीरे-धीरे पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिमी दिशा में बढ़ रहा है। जल्द ही यह सिस्टम दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश और इससे सटे मध्य पर पहुँच जाएगा।
इसके चलते आज रात या कल से उत्तर प्रदेश के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में मौसम बदलेगा और अगले दो-तीन दिनों तक कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों में एक-दो स्थानों पर भारी बारिश की भी संभावना है। राज्य के पश्चिमी हिस्से हालांकि अभी भी शुष्क बने रहेंगे।
English Version: RELIEF AHEAD FOR DRY UTTAR PRADESH, GOOD RAINS LIKELY IN KANPUR, VARANASI, PRAYAGRAJ
वाराणसी, प्रयागराज, बांदा, चित्रकूट, झांसी, ललितपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, अमेठी, रायबरेली और कानपुर आदि स्थानों पर अगले 24 घंटों के दौरान अच्छी वर्षा हो सकती है। इसके बाद हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है।
सूखे मौसम से संघर्ष कर रहे उत्तर प्रदेश के लिए यह बारिश वरदान साबित हो सकती है। उम्मीद है कि इससे धान, गन्ना, ज्वार, बाजरा आदि फसलें लाभान्वित हो सकती हैं। लेकिन मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बरेली और शाहजहाँपुर सहित आसपास के इलाकों में मौसम सूखा ही रहेगा जिससे फसलों के लिए चुनौती बढ़ जाएगी।
Image credit: The Hindu
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