ऐसा लगता है कि, मॉनसून 2019 की शुरुआत के लिए इंतजार और लंबा होता जा रहा है। बता दें कि, भारत में मॉनसून के आगमन का सामान्य तारीख 1 जून है। इससे पहले, स्काइमेट ने मॉनसून के सामान्य समय से 4 दिन बाद यानि 4 जून को आने की उम्मीद जताई थी। हालांकि, मॉनसून की सुस्त प्रगति को देखते हुए, अब स्काइमेट का मानना है कि मॉनसून 7 जून (+/- 2 दिन) के आसपास भारत में दस्तक देगा।
स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय समुद्रों में किसी भी मजबूत मौसम प्रणाली नहीं होने के कारण मॉनसून की वृद्धि में कमी आई। आमतौर पर खाड़ी द्वीप समूह पर मॉनसून का आगमन 20 मई तक होता है। लेकिन, इस बार मॉनसून 2019 ने थोड़ा पहले यानि 18 मई को ही खाड़ी द्वीप समूह पर दस्तक दे चुका है। जिसके बाद लगभग एक सप्ताह से मॉनसून पूरी तरह से स्थिर है।
इसके अलावा 27 मई तक, मॉनसून ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के कुछ और हिस्सों को कवर किया और 30 मई तक, यह पोर्ट ब्लेयर सहित बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों को कवर किया।
अब तक भारतीय भूमि पर मॉनसून की वृद्धि के लिए मौसम की स्थिति अनुकूल नहीं बनी है। इसका कारण, वह दो मौसम प्रणालियां है, जो केरल तक पहुंचने के लिए तेज़ पश्चिमी हवाओं के प्रवाह को रोक कर रही है।
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मौसम जानकारों के अनुसार, यदि अभी भी भारतीय समुद्र में मौसम प्रणाली बन रही है, तो इसका मतलब यह मॉनसूनी वायु द्रव्यमान नहीं है। मौसम विज्ञान के अनुसार, किसी भी चक्रवात के निर्माण के लिए मॉनसून का वायु द्रव्यमान अनुकूल नहीं होता है।
हालांकि, यह मौसम प्रणालियां अगले 48 घंटों के दौरान समाप्त हो जाएंगी, जिससे मानसून के लिए जरुरी मौसम की स्थिति बनने का रास्ता साफ़ हो जायगा। साथ ही, मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) भी अनुकूल स्थिति में आ रहा है। यह इस समय अफ्रीका के पश्चिमी गोलार्ध में स्थित है। हालांकि, पूर्वानुमानकर्ता इस बात से राजी नहीं हैं, लेकिन अधिकांश पूर्वानुमानकर्ता से संकेत मिला है कि एमजेओ यानी मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन हिंद महासागर की ओर पूर्व दिशा में आगे बढ़ रहा है।
इसके साथ, 6 जून के आसपास अरब सागर में साइक्लोजेनेसिस के भी पर्याप्त संकेत मिल रहे हैं। उस समय तक दक्षिण पूर्वी अरब सागर और इससे सटे लक्षद्वीप द्वीप समूह पर एक चक्रवाती क्षेत्र बनने की भी संभावना है। चूंकि, इस समय सिस्टम अधिक ताकत हासिल कर लेगा तो यह मानसून की शुरुआत के लिए जरुरी सभी मानदंडों यानी आवश्यक वर्षा, पवन क्षेत्र और आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (ओएलआर) देने के लिए सक्षम होगा।
दरअसल यही मौसमी प्रणाली ही केरल में दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की शुरुआत के लिए जिम्मेदार होगी। इसके चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की पूरी संभावना है, लेकिन हमें इंतजार करने और देखने की जरूरत है। अगर ऐसा होता है, तो यह चक्रवात फानी के बाद मौसम का दूसरा चक्रवात होगा।
स्काईमेट मॉनसून 2019 की उम्दा शुरुआत की उम्मीद नहीं करता है। यह एक कमजोर शुरुआत होगी क्योंकि मौसम प्रणाली पर्याप्त बारिश का संकेत नहीं दे रही है। संभावना यह भी है कि मॉनसून 2019 के शुरुआत के तुरंत बाद इसकी गति धीमी हो सकती है।
जैसे-जैसे सिस्टम अधिक व्यवस्थित होता है, नम हवाएं भी इसके आसपास केंद्रित होने लगती हैं। जिसकी वजह से, भारतीय पृष्टभूमि पर बारिश काफी कम हो जाएगी। मॉनसूनी बारिश केवल तभी पुनर्जीवित होगी जब सिस्टम तटीय भागों से पर्याप्त दूरी पर चला जाएगा।
Image Credit: The Hindu Business Line
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