समुद्र की सतह का तापमान लगातार कम हो रहा है। यहाँ बात भूमध्य रेखा के पास समुद्र की सतह की हो रही है। यह निरंतर चौथा सप्ताह है जब तापमान में गिरावट आई है। भारत के मॉनसून के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक क्षेत्र है नीनो 3.4, जहां तापमान घटते हुए शून्य के स्तर पर आ गया है। इस बात की प्रबल संभावना है कि आने वाले दिनों में यह शून्य से भी नीचे चला जाएगा यानि नकारात्मक चरण में पहुँच जाएगा।
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मौसम विशेषज्ञों के अनुसार यह उतार-चढ़ाव इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि अल नीनो का अस्तित्व जल्द खत्म हो जाएगा। अल नीनो के प्रभाव की समाप्ती की घोषणा तब की जाती है जब 3.4 क्षेत्र में समुद्र की सतह का क्रमानुगत तीन महीनों का तापमान निर्धारित सीमा 0.5°C से नीचे पहुँच जाता है। और जैसा कि तापमान में लगातार गिरावट हो रही है। इसके प्रबल आसार हैं कि ओषनिक नीनो इंडेक्स सामान्य औसत से नीचे चला जाएगा।
मौसम विशेषज्ञों की मानें तो अल नीनो का अस्तित्व आमतौर पर 7 से 9 महीनों का तक होता है। 2019 इसका सबसे बढ़िया उदाहरण माना जाएगा। ऊपर दिए गए टेबल में आप देख सकते हैं कि ओएनआई की वैल्यू लगातार 9 महीनों से निर्धारित सीमा से ऊपर बनी रही है। लेकिन 10वें चरण में आते-आते अल नीनो तटस्थ स्थिति में पहुँच जाएगा।
अल नीनो के अस्तित्व में होने की संभाव्यता में अब घटकर 20% से 25 के बीच आ गई है, जो कुछ ही समय तक 30% पर थी। यह मॉनसून 2019 के लिए अच्छे संकेत हैं।
Read English Article: MONSOON 2019: EL NINO VALUES DECLINE FURTHER FOR THE FOURTH CONSECUTIVE WEEK, MAY TURN NEGATIVE SOON
अल नीनो में कमी आने की शुरुआत जुलाई में हुई। हालांकि गिरावट शुरू होने के बाद कुछ समय ऐसे भी रहे जब तापमान बढ़ा भी है। फिलहाल अल नीनो के कमजोर होने और प्रभावी इंडियन ओषन डायपोल आईओडी की वजह से मॉनसून में अगस्त में काफी सुधार देखने को मिला और देश में बारिश का आंकड़ा 26 अगस्त तक सामान्य से 1% ऊपर है। यानि मॉनसून 2019 का सबसे खराब प्रदर्शन जून में दिखाई दिया। उसके बाद जुलाई में मॉनसून सुधरा लेकिन बारिश में वास्तविक अंतर अगस्त में जब देश के कई इलाकों में अच्छी मॉनसून वर्षा दर्ज की गई।
Image credit: The Week
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