इस साल मॉनसून उम्मीद से बहुत विपरीत रहा है। मॉनसून का आगमन केरल में सामान्य समय 1 जून से तकरीबन एक सप्ताह की देरी से हुआ था। उसके बाद मॉनसून ने देश के बाकी भागों में भी पहुँचने में लंबा वक़्त लिया। वापसी के समय भी यह डेरा जमाये रहने के अपने रुख पर कायम है। अब माना जा रहा है कि मॉनसून उत्तर भारत से वापसी अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से कर सकता है।
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मॉनसून की वापसी सितंबर के पहले सप्ताह से राजस्थान से शुरू होती है। पश्चिमी राजस्थान मॉनसून की वापसी का पहला ठिकाना है। जबकि यहाँ मॉनसून आता सबसे बाद में है। हालांकि यहाँ मॉनसून आने और यहाँ से इसके जाने की जो सामान्य समय सीमा है उसमें अक्सर अंतर देखने को मिलता है। पिछले 10 वर्षों में मॉनसून की सबसे देर वापसी 29 सितंबर को हुई है और सबसे पहले इसकी वापसी 4 सितंबर को हुई है।
साल 2019 एक नया रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। नीचे दी गई तस्वीर में बीते 10 वर्षों में मॉनसून की वापसी कब हुई है देख सकते हैं।
मॉनसून 2019 का अब तक प्रदर्शन
मॉनसून 2019 की शुरुआत काफी निराशाजनक हुई थी। देश भर में मॉनसून सीजन के पहले महीने जून में बारिश 33% कम हुई थी। लेकिन जुलाई में मॉनसून के प्रदर्शन में सुधार आया और जुलाई की विदाई 5% अधिक बारिश के साथ हुई। अगस्त में यही सिलसिला जारी रहा। अगस्त में सामान्य से 15% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई।
जुलाई और अगस्त मॉनसून सीजन के सबसे अधिक वर्षा वाले महीने हैं। लेकिन इस बार इन दो महीनों में कुछ इलाकों में अथाह बारिश हुई। खासकर मध्य भारत और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में। लगातार कई दिनों तक मूसलाधार बारिश के कारण मध्य प्रदेश, राजस्थान के कुछ हिस्सों और गुजरात के कुछ भागों में बाढ़ की स्थितियाँ देखने को मिलीं जिससे फसलों सहित बड़े पैमाने पर नुकसान भी उठाना पड़ा।
English Version: Unprecedented delay in Monsoon withdrawal, October second week likely period of retreat
सितंबर में भी यही सिलसिला जारी है। लेकिन इस बार बारिश ना सिर्फ मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र में हो रही बल्कि उत्तर प्रदेश और बिहार सहित पूर्वी भारत में भी मॉनसून वर्षा में सुधार देखने को मिला है। कह सकते हैं कि पिछले दोनों अच्छी बारिश वाले महीने से भी बेहतर रहा सितंबर क्योंकि इस दौरान देश के कई इलाकों में अच्छी बारिश दर्ज की गई। सितंबर में अब तक सामान्य से 32% अधिक वर्षा हुई है।
मॉनसून में देरी का कारण हैं एक के बाद एक बन रहे मॉनसून सिस्टम
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार भारत के दोनों समुद्र तटीय इलाकों में सितंबर में बन रहे मॉनसून सिस्टमों के कारण देश के कई इलाकों में बारिश हो रही है। दक्षिण-पूर्वी हवाएँ उत्तर-पश्चिम भारत तक पहुँच रही हैं इसलिए मॉनसून वापस नहीं लौट पा रहा है।
अरब सागर में बना निम्न दबाव का क्षेत्र प्रभावी होते हुए चक्रवाती तूफान बना और गुजरात तथा महाराष्ट्र के तटों पर कुछ बारिश देने के बाद ओमान की तरफ चला गया। साथ ही बंगाल की खाड़ी में निरंतर मौसमी सिस्टम बनते आ रहे हैं।
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इस समय भी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में मौसमी सिस्टम चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के रूप में बने हुए हैं। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इन दोनों सिस्टमों के कारण देश के मध्य, उत्तरी और पूर्वी भागों में कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। यह बारिश का सिलसिला अगले एक सप्ताह से भी अधिक समय तक जारी रहेगा।
इस दौरान मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित कई राज्यों में बारिश होगी। झारखंड और इससे सटे भागों पर अच्छी वर्षा हो सकती है। तटीय आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी बारिश की उम्मीद है। बारिश के इस लंबे दौर के कारण मॉनसून की वापसी अभी और लटक सकती है। स्काइमेट का आंकलन है कि मॉनसून अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से पहले वापस नहीं लौटने वाला है।
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भारत की कृषि के लिए कैसा रहा मॉनसून 2019, Monsoon 2019 and its impact on Indian agriculture