बहुप्रतीक्षित दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2018 ने आखिरकार दक्षिण पूर्वी बंगाल की खाड़ी, दक्षिणी अंडमान सागर और निकोबार दीपसमूह में दस्तक दे दी है। इस समय मॉनसून की उत्तरी सीमा लैटीट्यूड 5°N और लोंगीट्यूड 80°E, 8°N और 87°E, कार निकोबार और 11°N तथा 99°E के पास है। चार महीनों के इस मॉनसून सीजन की शुरुआत में लगभग 3 दिन की देरी हुई है। इसके लिए अरब सागर में बने चक्रवाती तूफान सागर और मेकुनु को जिम्मेदार माना जा रहा है।
स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियाँ अनुकूल हैं। दक्षिणी अंडमान सागर, अंडमान व निकोबार द्वीप्म्सऊह, बंगाल की खाड़ी के और अधिक दक्षिणी भागों, कोमोरिन क्षेत्र तथा मालदीव में अगले 24 से 48 घंटों में आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल बन गई हैं।
केरल में मॉनसून का आगमन
स्काईमेट के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञों का आकलन है कि मॉनसून अपनी वर्तमान स्थिति से केरल तक पहुंचने में 3 से 4 दिनों का समय ले सकता है। यानि यह अपने निर्धारित आगमन समय 1 जून से पहले केरल पहुँच सकता है। स्काईमेट ने इस बार निर्धारित समय से पहले 28 मई को केरल में मॉनसून के आगमन का अनुमान लगाया था।
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हमारा अनुमान है कि केरल में मॉनसून की शुरुआत धमाकेदार होगी और मॉनसून के आते ही राज्य के अधिकांश इलाकों में मध्यम से भारी वर्षा शुरू हो जाएगी। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के दोनों ओर यानि अरब सागर के दक्षिण-पूर्व और बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र विकसित हुए हैं।
यह दोनों सिस्टम जल्द ही और प्रभावी होंगे जिससे मॉनसून अच्छी गति से आगे बढ़ेगा। इसके अलावा मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए अन्य स्थितियां भी अनुकूल दिखाई दे रही हैं। इसके चलते बंगलुरु और चेन्नई सहित केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और प्रायद्वीपीय भारत के अन्य भागों में भी मॉनसून के अच्छी गति से आगे बढ़ने की पूरी संभावना है।
Image credit: OneIndia
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