16 मई कोअंडमान निकोबार द्वीपसमूहके सभी भागों में दस्तक देने के बाद दक्षिण पश्चिम मॉनसून अब अपनी केरल की यात्रा शुरू कर चुका है। स्काइमेट वेदर के अनुसार दक्षिण पश्चिम मॉनसून 2017 केरल में 29 मई को दस्तक दे सकता है। स्काइमेट ने मॉनसून के केरल पहुँचने के अपने अनुमान में 3 दिन का एरर मार्जिन रखा है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि विपरीत मौसमी परिदृश्य के चलते अगर मॉनसून की गति में बाधा आती है तो यह तीन दिन की देरी से पहुंच सकता है। दूसरी ओर मौसमी परिदृश्य अनुकूल बनने की स्थिति में यह 29 मई से 3 पहले पहुंच भारत के मुख्य भू-भाग में दस्तक दे सकता है, जिसका आरंभ केरल से होता है।
भारत में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की शुरुआत सामान्यतः एक जून से होती है और इसमें 2-3 दिन का विलंब भी सामान्य ही माना जाता है। वर्तमान समय में मॉनसून की उतरी सीमा यानी नॉर्दर्न लिमिट ऑफ मॉनसून (NLM) अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के माया बंद के पास से निकल रही है। इस बीच केरल में कुछ स्थानों पर रुक-रुक कर प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां शुरु हो गई हैं। मौसम से जुड़े मॉडल्स वर्तमान में संकेत दे रहे हैं कि केरल में 25 मई से बारिश व्यापक रुप से बढ़ जाएगी जिससे भारत के मुख्य भू-भाग में मॉनसून के आगमन के लिए स्थितियाँ अनुकूल बन जाएंगी।
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हमारा अनुमान है कि मॉनसून की घोषणा के लिए तीनों महत्वपूर्ण पहलू 29 मई तक एक साथ अनुकूल हो जाएंगे। निरंतर बारिश, हवा की लगातार और निश्चित दिशा तथा आउटगोइंग लॉन्ग लॉन्ग वेब रेडिएशन यानी ओएलआर के एक सकारात्मक होने पर मॉनसून के आगाज़ की घोषणा की जाती है। मौसम से जुड़े मॉडल से मिलने वाले संकेतों को मद्दे नज़र रखें तो 25 मई से इन सभी के एक साथ सकारात्मक होने की संभावना दिखाई बन रही है। जहां तक निरंतर बारिश की बात है तो राज्य में 14 स्टेशनों में से 9 स्टेशनों पर लगातार दो दिन 2.5 मिलीमीटर या उससे अधिक वर्षा रिकॉर्ड किए जाने की स्थिति में मॉनसून का आगमन घोषित किया जाएगा।
हम उम्मीद कर रहे हैं कि 29 मई को केरल में दस्तक देने के बाद मॉनसून देश की बाकी भागों में भी सामान्य गति से आगे बढ़ेगा और लोगों का बारिश का इंतजार खत्म होगा। हालांकि केरल में आने के बाद यह किस गति से प्रगति करेगा इस बारे में कुछ कहने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।