जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आगे बढ़ते हुए समूचे अंडमान व निकोबार में भी पहुँच गया है। अंडमान व निकोबार के कुछ भागों में 14 मई को मॉनसून का आगाज़ हुआ था और इसके दो दिन बाद यानि 16 मई को प्रगति करते हुए मॉनसून समूचे द्वीपीय क्षेत्र में पहुँच गया। इसके अलावा मॉनसून ने उत्तरी अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी भागों में भी प्रगति की है। मॉनसून की उत्तरी सीमा यानि एनएलएम इस समय माया बंदर के पास से होकर गुज़र रही है।
इस बीच अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के पास बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तरी अंडमान सागर की तरफ चला गया है जिसके चलते अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में बारिश की गतिविधियों में कमी आने की संभावना है।
स्काइमेट के अनुमानों के अनुसार अपनी सामान्य गति से आगे बढ़ते हुए मॉनसून 29 मई को केरल पहुँच सकता है। हालांकि इसमें 3 दिन का एरर मार्जिन बताया गया है। यानि अगर वर्तमान मौसमी परिदृश्य में अचानक कुछ बदलाव आता है तो यह सकारात्मक बदलाव की स्थिति में 29 मई से 3 दिन पूर्व पहुँच सकता है जबकि नकारात्मक बदलाव की संभावना होने पर इसमें थोड़ा विलंब हो सकता है और यह 3 दिन बाद केरल में दस्तक दे सकता है।
भारत में मॉनसून की औपचारिक शुरुआत की सामान्य तिथि 1 जून है और 2-3 दिन की देरी को भी सामान्य ही माना जाता है। इस बीच यहाँ यह भी स्पष्ट कर दें कि अंडमान व निकोबार में मॉनसून के समय से पहले आगमन और केरल में इसके पहुँचने के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। इसी तरह केरल में मॉनसून के आगमन और इसके प्रदर्शन के बीच भी कोई सीधा संबंध नहीं है।
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