बीते 2 वर्षों के कमज़ोर मॉनसून के बाद मॉनसून 2016 की शुरुआत धमाकेदार बारिश के साथ हुई है। बीते दो वर्षों 2014 और 2015 में कमज़ोर मॉनसून के चलते देश में सूखे जैसे हालात रहे। देश में वर्ष 2014 में सामान्य से 12 प्रतिशत कम जबकि 2015 में सामान्य से 14 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी।
हालांकि इस बार जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था, मॉनसून ने बेहतरीन शुरुआत की है। इस वर्ष बीते दोनों सूखे वर्षों के मुक़ाबले लगातार और अच्छी बारिश पहले ही देखने को मिली है। मई में प्री-मॉनसूनी बारिश भी अपने उत्कर्ष पर रही। केरल और तटीय कर्नाटक में 26 मई के बाद से लगातार मध्यम से भारी वर्षा दर्ज की जा रही है।
मंगलुरु और कोझिकोड में लगातार हो रही मूसलाधार वर्षा से इस बात के पूरे संकेत मिल रहे हैं कि मॉनसूनी हवाएँ आ चुकी हैं। इसके अलावा लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह पर भी लगातार कई दिनों से वर्षा दर्ज की जा रही है।
यह सर्वज्ञात है कि मॉनसून का सफर हर वर्ष एक सा नहीं रहता है, विशेषकर इसके आगमन के संदर्भ में यह बात और अहम है। यह माना जाता है कि मॉनसून के आगमन के ठीक पहले प्री-मॉनसूनी बारिश की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। हालांकि प्री-मॉनसून और मॉनसून सीज़न में कभी कभी तेज़ बदलाव भी देखने को मिलता है। उदाहरण के तौर पर हम वर्ष 2015 को ही देख लें जब 5 जून को मॉनसून आया था लेकिन मॉनसून के आने से पहले प्री-मॉनसूनी बारिश ना के बराबर हो रही थी।
वर्ष 2015 में बारिश का पैमाना भी पूरा नहीं हुआ था जिसके अंतर्गत केरल और कर्नाटक के 14 स्थानों पर लगातार दो दिनों तक 60% भागों में बारिश दर्ज होनी चाहिए। नीचे दिए गए आंकड़े यह दर्शाते हैं कि जून 2015 के पहले सप्ताह में पहली बारिश को मॉनसूनी बारिश घोषित किया गया था। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा परिदृश्य प्रायः देखने को नहीं मिलता है।
Image Credit: Indiatoday
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