केरल राज्य बाढ़ की स्थिति से जूझ रहा है और राज्य में भारी बारिश हो रही है। हालांकि, कल से कुछ राहत मिली है और ऐसी स्थिति कुछ समय तक बने रहने की संभावना है।
आम तौर पर, केरल दक्षिण-पश्चिम मानसून अवधि के दौरान भारी और बाढ़ की बारिश के लिए अतिसंवेदनशील होता है। 2018 और 2019 दोनों में जुलाई के साथ-साथ अगस्त के महीनों के दौरान बाढ़ की बारिश देखी गई। मानसून के बाद का मौसम या पूर्वोत्तर मानसून के दौरान, केरल की बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम की तरह प्रभावी नहीं है।
हालांकि, पूर्वोत्तर मानसून के मौसम के तीन महीनों में अक्टूबर सबसे अधिक बारिश वाला है। अक्टूबर, नवंबर के महीने के दौरान बारिश घटकर आधी रह जाती है। अक्टूबर में केरल में 300 मिमी बारिश होती है, नवंबर में यह घटकर नवंबर में 150 मिमी रह जाती है।
इसके विपरीत, केरल में पिछले कुछ दिनों में दैनिक वर्षा बढ़कर 700-800 प्रतिशत हो गई है। यही कारण है कि अधिकांश हिस्सों में बाढ़ आ गई है। राज्य में पहले ही महीने के शुरूआती 15 दिनों में 140 प्रतिशत बारिश हो चुकी है।
बारिश से होने वाले मौजूदा जलप्रलय से कल से कुछ राहत मिली है। आज भी इसी तरह की स्थिति होने की संभावना है और अधिकांश स्थानों पर हल्की बारिश के साथ ही छिटपुट मध्यम बौछारें पड़ने की संभावना है। कल यानि 19 अक्टूबर को भी बारिश हल्की और मध्यम प्रकृति की ही होगी। ऐसे में अगले दो दिनों तक राहत की उम्मीद है।
लेकिन उसके बाद, 20 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक एक बार फिर बारिश होने के आसार है। इस प्रकार, बारिश गति पकड़ लेगी लेकिन वह वर्तमान जलप्रलय जितनी भारी नहीं होगी। एक निम्न दबाव के क्षेत्र के राज्य की ओर जाने से इतनी भारी बारिश हुई है।
संभावित मौसम को देखते हुए पूर्वोत्तर मानसून के मौसम से सम्बद्ध आगे भी मौसमी गतिविधियां देखने को मिल सकती है। एक पूर्वी मौसम प्रणाली के कारण एक बार फिर कुछ बारिश दिखेगी। ये आगामी बारिश प्रकृति में मध्यम होगी जबकि कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।