एक निम्न दबाव का क्षेत्र दक्षिण पूर्व अरब सागर तथा लक्ष्यदीप के आसपास बना हुआ है तथा एक निम्न दबाव की रेखा महाराष्ट्र के तट तक जा रही है। इन के मिले-जुले प्रभाव पिछले 24 घंटों के दौरान महाराष्ट्र के कई भागों में हल्की से मध्यम बारिश की गतिविधियां देखी गई। पुणे, सतारा, महाबलेश्वर, रत्नागिरी तथा गोवा में बारिश दर्ज की गई।
महाराष्ट्र के उत्तरी जिले तथा मराठवाड़ा और विदर्भ शुष्क बने रहे। आज भी को करने तथा गोवा सहित मध्य महाराष्ट्र के कई जिलों में बारिश की संभावना बनी हुई है। मुंबई तथा उसके आसपास के इलाकों में बादल छा सकते हैं या एक-दो स्थानों पर चमन के साथ छिटपुट वर्षा हो सकती है।
6 नवंबर को बारिश की गतिविधियां काफी कम हो जाएंगी परंतु महाराष्ट्र के दक्षिणी जिलों में छुटपुट बारिश होने की संभावना बनी रहेगी। नवंबर के महीने में महाराष्ट्र का मौसम आमतौर पर शिष्ट बना रहता है। बारिश की गतिविधियां अरब सागर में बनने वाले किसी मौसमी सिस्टम के प्रभाव से ही देखी जाती हैं जो इस बार देखी जा रही है।
महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों में नवंबर से मार्च तक महीने की औसत वर्षा एक अंक में ही होती है। वर्षा की गतिविधियां अप्रैल से बढ़ने लगती है तथा मानसून के दौरान काफी अधिक बढ़ जाती है। 7 नवंबर से महाराष्ट्र का मौसम एक बार फिर शुष्क हो जाने की संभावना है।