पश्चिमी प्रशांत महासागर और बंगाल की खाड़ी दोनों ने संबंधित क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली मौसम प्रणालियों को सक्रिय करने के लिए कार्य किया है। पश्चिमी प्रशांत के कुछ तूफ़ान या उष्णकटिबंधीय चक्रवात वियतनाम, लाओस, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे पूर्वी एशियाई देशों से होते हुए कमजोर अवशेषों के रूप में म्यांमार की सीमा से बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करते हैं। उष्णकटिबंधीय तूफानों के ये बचे हुए अवशेष बंगाल की खाड़ी में मानसून निम्न दबाव का क्षेत्र या डिप्रेशन को पुनर्जीवित करके मानसून में वृद्धि हैं। हालांकि, इन तूफ़ान की यह गतिविधि फिलीपींस सागर या दक्षिण चीन सागर से चीन, ताइवान और जापान की ओर बढ़ रहे मानसून की गतिविधि को कम कर देगी। यहां तक कि इस क्षेत्र पर भी तूफ़ान बिना भूभाग से टकराए समुद्र के ऊपर ही बने रहते हैं और भारतीय उपमहाद्वीप पर मौसम के स्वरुप को प्रभावित करते हैं।
पश्चिमी प्रशांत महासागर में तूफ़ान का मौसम भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी मानसून के समानांतर चलता है। दरअसल, प्रशांत महासागर की कोई मौसमी सीमा नहीं है, हालांकि अधिकांश उष्णकटिबंधीय चक्रवात मई और अक्टूबर माह के बीच बनते हैं। 2021 का पहला तूफान 'दुजुआन' 16 फरवरी की शुरुआत में विकसित हुआ था। वहीं मौसम का पहला तूफ़ान, सुरिगे भी 16 अप्रैल को निर्धारित समय से थोड़ा आगे दिखाई दिया। यह वर्ष का पहला सुपर टाइफून और 2021 में अब तक का सबसे प्रभावी उष्णकटिबंधीय चक्रवात बन गया है। उत्तरी गोलार्ध में अप्रैल के महीने के लिए सुरिगे रिकॉर्ड पर सबसे शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात भी था। 21 जून को लगभग 2 महीने बाद एक और तूफान 'चंपी' बना, जो बिना किसी भूभाग को प्रभावित किए समुद्र के ऊपर से निकल गया।
वर्तमान में, तूफ़ान 'इन-फा' दक्षिण चीन सागर में बना है, जो जापान के एक हवाई अड्डे काडेना (ओकिनावा) से लगभग 350 किमी दक्षिण-पश्चिम में केंद्रित है। 'इन-फा' एक कैट-आई समकक्ष तूफान है और अभी भी तेज है। 26 जुलाई को सुबह, ताइवान और चीन के हांग्जो और शंघाई शहर तूफ़ान का कहर दिखने के आसार हैं।
इससे पहले, 17 जुलाई को एक और उष्णकटिबंधीय तूफान 'सेम्पाका' बना था, जो हांगकांग को प्रभावित कर सकता था। हालांकि, यह टोंकिन की खाड़ी से होते हुए हैनान प्रांत और झांजियांग, नाननिंग और ग्वांगझोउ प्रान्त की तरफ चला गया। इस तूफान के कारण टोंकिन की खाड़ी की ओर भारी बारिश देखने को मिली, जिससे चीन के उस हिस्से में बाढ़ आ गई। यह अभी भी उस क्षेत्र पर एक उष्णकटिबंधीय डिप्रेशन के रूप में बना हुआ है। एक और उष्णकटिबंधीय चक्रवात दक्षिण चीन सागर के ऊपर बना हुआ है, जिसे वर्तमान में 'इन्वेस्ट 90W' के रूप में चिह्नित किया गया है।
वहीं 22 जुलाई को बंगाल की खाड़ी पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना था जोकि महीने का दूसरा और मानसून का तीसरा मौसमी सिस्टम था। यह 23 तारीख को प्रभावी था लेकिन फिर इसकी तीव्रता में कमी आ गयी। फिर भी 26/27 जुलाई को बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी भाग पर एक और निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना है लेकिन यह डिप्रेशन से कम प्रभावी रहेगा। मॉनसून मौसम के अभी तक के दौर में भारतीय समुद्रों पर एक भी डिप्रेशन या डीप डिप्रेशन देखने को नहीं मिला है। फिलीपींस सागर और दक्षिण चीन सागर पर लगातार तूफानी गतिविधि संभवतः बंगाल की खाड़ी मानसूनी सिस्टमों की तीव्रता को रोक रही है। ये तूफ़ान हजारों किलोमीटर तक हवा के प्रवाह को प्रभावित करने वाली बहुत शक्तिशाली सिस्टम हैं, जो भारतीय समुद्रों में चढ़ाव और डिप्रेशन की तीव्रता को रोकते हैं। जुलाई के अंतिम सप्ताह में बंगाल की खाड़ी पर तीसरे निम्न दबाव क्षेत्र के बाद, उस क्षेत्र में किसी अन्य सिस्टम के आने के कोई संकेत नहीं हैं। संभवतः, बंगाल की खाड़ी पर चक्रवाती अंश पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में चक्रवातों के हटने की प्रतीक्षा करेगा। जिसके कारण अगस्त महीने का पहला मानसून सिस्टम अगस्त के पहले हफ्ते के बाद दिखने की संभावना है।