इस समय बंगाल की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। यह निम्न दबाव ओड़ीशा के तट के करीब बंगाल की खाड़ी के मध्य-पश्चिम में स्थित है। अनुमान है कि यह मौसमी सिस्टम धीरे-धीरे और प्रभावी होगा तथा धीरे-धीरे उत्तर-पश्चिम की दिशा में आगे बढ़ेगा।
इसके प्रभाव से देश के पूर्व में स्थित समुद्र तटीय भागों और पूर्वी राज्यों का मौसम बदलने की संभावना है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस निम्न दबाव के प्रभाव से ओड़ीशा, गंगा के मैदानी वाले पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और उत्तरी छत्तीसगढ़ में अगले 48 घंटों के दौरान अधिकांश जगहों पर बारिश दर्ज की जा सकती है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में भी इसके चलते कुछ स्थानों पर बारिश होने का अनुमान है। इन भागों में एक-दो जगहों पर भारी वर्षा भी दर्ज किए जाने का अनुमान है। स्काइमेट के मौसम वैज्ञानिकों का आंकलन है कि उत्तरी बिहार और इसके आसपास के भागों में 22 और 23 सितंबर को मूसलाधार वर्षा देखने को मिल सकती है।
देश में अब तक 2015 के मॉनसून सीजन में औसत से 15% कम बारिश हुई है। इस वर्ष मॉनसून सीजन में सबसे कम बारिश पूर्वी उत्तर प्रदेश में हुई है। राज्य के पूर्वी भागों में औसत से 46% कम 462 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 44% कम बारिश देखने को मिली है। बिहार भी बारिश के मामले में 29% पीछे चल रहा है।
बंगाल की खाड़ी में बने वर्तमान निम्न दबाव के क्षेत्र से संभावना बन रही है कि इन भागों खासतौर पर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में बारिश में कमी के इन आंकड़ों में कुछ सुधार देखने को मिले। बारिश के इस नए दौर से देश के पूर्वी राज्यों में खरीफ फसल को पानी की कमी की समस्या से कुछ निजात मिलेगी।
इससे पहले बंगाल की खाड़ी से उठकर एक निम्न दबाव मध्य भारत पहुंचा था, जहां उसने डिप्रेशन बनकर मध्य भारत के साथ-साथ महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में बारिश दी। जिससे महाराष्ट्र के अधिकांश भागों में बारिश की कमी में व्यापक सुधार आया और राज्य के लोगों को काफी राहत मिली। यह डिप्रेशन इस समय कमजोर हो गया है और गुजरात के ऊपर निम्न दबाव के रूप में स्थित है और इन भागों में बारिश दे रहा है।
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