मॉनसून 2019 का बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है, जो जल्द ही खत्म हो सकता है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, मौसमी स्थितियां मॉनसून के आगमन के लिए अनुकूल बन रही हैं। मॉनसून जल्द ही भारत के दक्षिणी भागों तक पहुंचने वाला है।
इसका श्रेय जाएगा दक्षिण-पूर्वी अरब सागर और इससे सटे इलाकों पर बनने वाले मौसमी सिस्टम को। पहले एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित होगा जो अगले 24 घंटों के दौरान और अधिक प्रभावी होकर 6 जून तक एक निम्न दवाब का क्षेत्र बन जाएगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यह सिस्टम ऐसे समय में बन रहा है जब समुद्र की सतह का तापमान 30 डिग्री है। इसके अलावा यह सिस्टम लंबे समय तक समुद्री क्षेत्र में रहेगा, जिसके कारण इसे पर्याप्त मात्रा में नमी मिलती रहेगी।
यह मौसमी सिस्टम एक चक्रवाती तूफ़ान भी बन सकता है।
मॉनसून अपने समय से 8-10 दिन की देरी से चल रहा है। इसकी उत्तरी सीमा अरब सागर के दक्षिणी भागों, मालदीव-कोमोरिन क्षेत्र के कुछ इलाकों, बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी भागों सहित उत्तरी अंडमान सागर के आगे बढ़ गया है। भूमध्य रेखा को पार करने के बाद यह प्रभावी होगा। इसके अलावा मौसमी परिदृश्य अगले 24 से 48 घंटों में मॉनसून के श्रीलंका के कुछ और भागों, कोमोरिन और बंगाल की खाड़ी के मध्य हिस्सों में पहुँचने के संकेत मिल रहे हैं।
मॉनसून 2019 के आगमन के कारक
स्काइमेट का पूर्वानुमान है कि केरल में मॉनसून का आगमन 7 जून (+/- 2 दिन ) तक हो सकता है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, केरल में मॉनसून के आगमन की घोषणा तीन निम्नलिखित स्थितियों के बनने के बाद ही की जाती है।
ऊपर दिए गए ग्राफ में देख सकते हैं कि जब अंडमान व निकोबार के कार निकोबार क्षेत्र में मॉनसून का आगमन हुआ था उस समय OLR (Outgoing Longwave Radiation) कैसे घट गया दूसरी ओर केरल में 3 जून इसमें कोई बदलाव नहीं आया।
लेकिन हमारा अनुमान है कि अगले एक-दो दिनों में जब निम्न दबाव का क्षेत्र प्रभावी होगा और बादल बढ़ेंगे तब ओएलआर निर्धारित सीमा पर पहुँच जाएगा। बादलों के बढ़े प्रभाव के कारण OLR (Outgoing Longwave Radiation) के धरती की सतह से वापस लौटने में कमी आएगी और यह 200 wm^ 2 से कम हो जाएगा।
निम्न दाब का क्षेत्र पश्चिमी हवाओं को गति देगा और हवाएँ प्रभावी हो जाएंगी। मॉनसून के आगमन के लिए हवा की गति 30-40 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए। 5 जून को अरब सागर में चक्रवाती क्षेत्र बनेगा उसके बाद 6 और 7 जून को यह निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा।
मॉनसून के आगमन की घोषणा तब की जाती है जब केरल, लक्षद्वीप और केरल के तटीय इलाकों के पूर्व निर्धारित 14 स्थानों पर लगातार 2 दिन बारिश होती है। सभी 14 स्थानों पर लगातार 2 दिनों तक 2.5 मिलीमीटर या उससे अधिक बारिश दर्ज होनी चाहिए।
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