उत्तरी अंडमान सागर पर अगले 24 घंटों में एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित होने वाला है। विकसित होने के बाद बंगाल की खाड़ी के मध्य-पूर्वी भागों तक इसे पहुंचने में 24 घंटों का समय लगेगा और इसी दौरान यह डिप्रेशन की क्षमता में भी आ सकता है। यह सिस्टम उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा और उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश तथा इससे सटे दक्षिणी तटीय ओडिशा पर इसका लैंडफॉल होगा।
वर्तमान स्थितियों के मद्देनजर अनुमान है कि संभावित डिप्रेशन 11 अक्टूबर तक लैंडफॉल कर सकता है। यह सिस्टम लैंडफॉल करने के बाद कमजोर हो जाएगा और निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाएगा। उसके बाद आगे का सफर तय करते हुए और कमजोर होकर चक्रवाती क्षेत्र के रूप में यह मध्य और दक्षिणी प्रायद्वीप भारत के बाद कई राज्यों को प्रभावित करेगा।
सिस्टम का लैंडफॉल ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटों पर होगा लेकिन यह उत्तरी महाराष्ट्र तक अपना प्रभाव दिखाएगा। इस सिस्टम के दायरे में मध्य प्रदेश, उत्तरी कर्नाटक और गुजरात भी आएंगे। महाराष्ट्र के अधिकांश इलाकों पर इसका असर देखने को मिलेगा। इस सिस्टम का अस्तित्व लगभग एक सप्ताह का होगा और इस दौरान यह मुख्यतः मध्य भारत और दक्षिण भारत के क्षेत्रों को प्रभावित करेगा जिसमें आंध्र प्रदेश तथा ओडिशा से लेकर तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और उत्तरी कर्नाटक के क्षेत्र शामिल हैं।
इसके प्रभाव से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में भारी से अति भारी वर्षा होने की संभावना भी है। बड़े पैमाने पर प्रभावित क्षेत्रों में तूफानी हवाएँ चलने के साथ बादलों की गर्जना तथा वज्रपात की घटनाएं भी हो सकती हैं।
इससे पहले ओडिशा और आंध्र प्रदेश पर पहुंचा निम्न दबाव का क्षेत्र अभी भी चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के रूप में ओडिशा के ऊपर है और कुछ इलाकों में बारिश भी दे रहा है। लेकिन संभावित डिप्रेशन के कारण ही यह पश्चिमी दिशा में और आगे नहीं जा पाया। फिलहाल संभावित डिप्रेशन के प्रभाव से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के भी कुछ में 12 और 13 अक्टूबर को हल्की वर्षा हो सकती है।
डिप्रेशन के भारत के पूर्वी तटों के पास पहुंचते ही बंगाल की खाड़ी में अन्य मौसमी सिस्टम भी बनने को तैयार हैं। यह सिस्टम भी इसी रास्ते से आगे बढ़ सकते हैं। कह सकते हैं कि बंगाल की खाड़ी इस समय सक्रिय है। और इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि अक्टूबर के आखिर तक आते-आते हमें कोई चक्रवाती तूफान भी देखने को मिले।
बंगाल की खाड़ी में उठने वाले मौसमी सिस्टमों के कारण ही मॉनसून की वापसी पर ब्रेक लगी है। अभी भी समूचे मध्य प्रदेश समूचे और उत्तर प्रदेश से मॉनसून ने अलविदा नहीं कहा है। आने वाले मौसमी सिस्टमों का प्रभाव मुख्यतः मध्य और दक्षिणी भारत में दिखेगा जबकि उत्तर भारत को अभी भी निराशा हाथ लगेगी।
Image Credit: Social Media
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।