चीन के तटों पर कई जगह तबाही का मंज़र लाने वाला टाइफून सूड़ेलोर अब खत्म हो चुका है। टाइफून सूड़ेलोर ने बंगाल की खाड़ी में भी मौसमी परिस्थितियों को प्रभावित किया है। समुद्र में हरकत अभी भी कम हो रही है लेकिन अनुमान है कि खाड़ी में फिर से कई मौसमी सिस्टम विकसित हो सकते हैं।
इस समय बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है जो दक्षिणी ओड़ीशा और उससे सटे आंध्र प्रदेश के तटों के करीब है। स्काइमेट का अनुमान है कि यह अगले 48 घंटों में सशक्त होकर निम्न दबाव का रूप ले सकता है।
48 घंटों तक यह धीमा रहेगा जिससे बारिश समुद्री भागों पर ही होगी। निम्न दबाव बनने के बाद यह सिस्टम जमीनी भागों के करीब आएगा जिससे पूर्वी तटीय भागों के साथ-साथ मध्य भारत में यह बारिश दे सकता है। बारिश की गतिविधियां खासतौर पर ओड़ीशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, विदर्भ और मराठवाड़ा में बढ़ सकती हैं।
यह निम्न दबाव का क्षेत्र तटीय भागों से महाराष्ट्र तक पहुंचेगा और इन भागों के मौसम को प्रभावित करेगा। इसके चलते मॉनसूनी हवाएँ केरल में भी प्रभावी हो सकती हैं।
इस समय बारिश की कमी से सबसे अधिक जूझने वाले इलाके हैं विदर्भ, मराठवाड़ा, रायलसीमा, तेलंगाना और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक। मराठवाड़ा में अब तक औसत से 52% कम, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में 45% कम, रायलसीमा में 35% कम और तेलंगाना में 27% कम बारिश हुई है।
बंगाल की खाड़ी से आने वाले इस निम्न दबाव के प्रभाव से इन सभी भागों में कुछ बारिश दर्ज की जाएगी, जिससे बारिश में कमी के आंकड़ों में सुधार की गुंजाइश है। पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में अगले 48 से 72 घंटों के बाद हल्की बारिश के आसार हैं।
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