वर्ष 2020 में अब तक देश के उत्तरी राज्यों में लू का प्रकोप नहीं दिखा है। ऐसा इसीलिए होता रहा है कि जब भी तापमान बढ़ना शुरू हुआ तब कई राज्यों में मौसम बदला और बेमौसमी बरसात ने तापमान को फिर से नीचे लाकर पटक दिया। मार्च, अप्रैल औसत से ठंडे बीत गए और अब मई के पहले पखवाड़े में भी उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के भागों में तापमान औसत से नीचे बना हुआ है।
एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभों के चलते उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में प्री-मॉनसून वर्षा मई के पहले पखवाड़े तक जारी है। सामान्य से अधिक प्री-मॉनसून वर्षा के चलते ही मध्य भारत और उत्तर भारत में 1 मार्च से 15 मई के बीच सामान्य से ज़्यादा वर्षा हुई है। रिकॉर्ड के अनुसार उत्तर भारत में 38% अधिक जबकि मध्य भारत में 152% अधिक वर्षा हुई है।
लेकिन अब उत्तर भारत में एक वीक का लंबा ड्राइ स्पैल होने जा रहा है क्योंकि इस दौरान कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में आता दिखाई नहीं दे रहा है। प्री-मॉनसून वर्षा की गतिविधियां इस दौरान उत्तर भारत में नहीं होंगी। एक तरफ पश्चिमी विक्षोभ नहीं आएंगे तो दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी से हवा के साथ जो नमी आ रही थी उसका संपर्क भी टूट जाएगा क्योंकि बंगाल की खाड़ी पर बन रहा चक्रवात ‘अंफन’ पूरी एनर्जी और हवा को अपनी तरफ खींच लेगा।
उत्तर भारत में अब शुष्क और बेहद गर्म हवाएँ चलनी शुरू होंगी। यह शुष्क हवाएँ पंजाब से लेकर हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र तक को प्रभावित करेंगी जो लू जैसी लगेंगी। इन भागों में कई जगहों पर तापमान 45 डिग्री तक पहुँच सकता है। तापमान में वृद्धि के कारण मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में लू का प्रकोप शुरू हो जाएगा।
चूरू, कोटा, खरगौन और जलगाँव में तापमान पहले ही 44 डिग्री तक पहुँच चुका है।
यानि उत्तर-पश्चिम भारत में साफ आसमान के बीच चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों का अब आपको करना होगा सामना। अब वो गर्मी पड़ेगी जो हीट स्ट्रोक का कारण बन सकती है। इस समय कोविड महामारी के कारण लोगों को घर से कम से कम निकलने की अपील की जा रही है। अब हम आपसे कहेंगे की लू का प्रकोप देखते हुए भी घर में ही रहें।
Image credit: ABC7 Chicago
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