मानसून गुजरात में देर से सक्रिय हुआ। नतीजतन, जून में यहां काफी कम बारिश हुयी और बमुश्किल इस क्षेत्र में बरसात देखने को मिली। उपखंडीय आधार पर, गुजरात क्षेत्र में 70 प्रतिशत से अधिक, बारिश की कमी दर्ज की गयी, जबकि सौराष्ट्र और कच्छ में बारिश की कमी 90 प्रतिशत से अधिक रही।
लेकिन फिर जुलाई के पहले सप्ताह के दौरान, इस क्षेत्र में अच्छी बारिश और बौछारें पड़ना शुरू हुयीं और गुजरात में भारी बारिश देखने को मिली। इस वजह से गुजरात के दक्षिणी हिस्सों और सौराष्ट्र को बाढ़ का सामना करना पड़ा।
आज की तारीख तक अगर पूरे गुजरात राज्य की बात करें तो यहां बारिश अधिशेष 7 प्रतिशत है। अगर इसे उप-मंडलीय आधार पर वर्गीकृत किया जाये तो गुजरात क्षेत्र में बारिश अधिशेष 17 प्रतिशत है, जबकि सौराष्ट्र और कच्छ में सामान्य बारिश हुई है, फिर भी ये सामान्य औसत से 5 प्रतिशत कम है।
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इसके बाद पिछले कुछ दिनों में, राज्य में केवल हल्की बारिश जारी रही, जिससे मौसम अपेक्षाकृत सुहावना रहा। ऐसी उम्मीद है की अगले एक हफ्ते तक राज्य में मौसम की यही स्थिति जारी रहेगी।
आम तौर पर, जब सक्रिय मौसम प्रणाली देश के मध्य भागों से दक्षिण राजस्थान, गुजरात और दक्षिण पश्चिम मध्य प्रदेश की तरफ आगे बढ़ती है तो गुजरात में अच्छी बारिश होती है और गरज के साथ बौछारें पड़ती हैं।
इसलिए, फिलहाल इस तरह की किसी भी मौसम प्रणाली की नामौजूदगी के चलते, गुजरात के निचले इलाकों में ही बारिश होगी। बारिश भी सिर्फ कहीं-कहीं देखने को मिलेगी। वास्तव में, मध्यम स्तर की बारिश होने की संभावना भी नहीं है। जिस वजह से गुजरात में, बारिश के मासिक आंकड़े में कमी आयेगी।
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