दक्षिण पश्चिम मॉनसून ने 27 जून यानि तयशुदा वक़्त से पहले ही दक्षिण पूर्व राजस्थान में अपनी दस्तक दी। इसके अलावा इसने पूरे राज्य को केवल दो दिनों में कवर कर लिया और 29 जून तक मॉनसून पूरे देश में सक्रिय हो गया। जिसमें 'रेगिस्तान राज्य' के बचे हुए हिस्से भी शामिल हैं, जहां मानसून 15 दिन पहले ही पहुंच गया।
हालांकि, अच्छी शुरुआत के बावजूद, राज्य में बारिश का प्रदर्शन कमतर साबित हुआ है। जून में दो बार अच्छी बारिश जरूर हुई, लेकिन जुलाई के महीने में अब तक, राज्य के लोगों को बारिश का दीदार नहीं हो सका।
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जून में हुई बारिश की वजह से राज्य में बारिश की स्थिति अब तक संतोषजनक कही जा सकती है। नहीं तो, जुलाई के महीने ने तो अब तक पूरी तरह निराश ही किया है।
1 जून से 5 जुलाई तक पश्चिम राजस्थान के लिए संचयी वर्षा 37 प्रतिशत से अधिक थी। जबकि इस दौरान, पूर्वी राजस्थान में बारिश 25 प्रतिशत ज्यादा दर्ज की गयी थी।
छेत्रफल के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य को अभी भी अच्छी बारिश का इंतजार है लेकिन स्काईमेट वेदर के अनुसार अगले हफ्ते से पहले बारिश की उम्मीद रखना बेमानी होगा।
फिलहाल, राजस्थान समेत उत्तर पश्चिमी भारत के अधिकांश हिस्सों में पश्चिमी हवाएं बह रही हैं। इसलिए, कम से कम अगले 3-4 दिनों तक राज्य में अच्छी मानसूनी वर्षा की उम्मीद न के बराबर है। हालांकि, उत्तर और दक्षिण पूर्व राजस्थान जैसे कोटा, चित्तौड़गढ़, बूंदी और झालावार के कुछ हिस्सों में थोड़ी बहुत बारिश देखी जा सकती है।
हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, अलवर और सीकर जैसे राज्य के उत्तरी हिस्सों में अलग-अलग जगहों पर आंधी तूफान या हल्की बारिश हो सकती है। हालांकि, ये गतिविधियां थोड़ी देर के लिये और इक्का दुक्का जगहों पर ही देखने को मिलेंगी।
पूर्वी राजस्थान में 12 या 13 जुलाई के आसपास बारिश जोर पकड़ सकती है। उस समय, जयपुर, भरतपुर और सवाई माधोपुर में अलग-अलग जगहों पर कहीं हल्की तो कहीं भारी बारिश हो सकती है। पश्चिम राजस्थान के कुछ हिस्से भी हल्की बारिश की फुहारों से भीग सकते हैं लेकिन इनकी तीव्रता बेहद कम होगी।
Image credit: Wikipedia
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